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सत्संग है भक्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन : माधवानंद

सत्संग है भक्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन : माधवानंद (फोटो माधवानंद जी के नाम से सेव है)-चिन्मया विद्यालय में आयोजित भक्ति सुधा कार्यक्रम का समापनलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर चिन्मया विद्यालय में आयोजित ‘भक्ति सुधा’ प्रवचन के अंतिम दिन बुधवार प्रातः स्वामी माधवानंद जी ने भक्ति की चर्चा की. इसके तहत उन्होंने नवधा भक्ति, भक्ति के साधनों, […]

सत्संग है भक्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन : माधवानंद (फोटो माधवानंद जी के नाम से सेव है)-चिन्मया विद्यालय में आयोजित भक्ति सुधा कार्यक्रम का समापनलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर चिन्मया विद्यालय में आयोजित ‘भक्ति सुधा’ प्रवचन के अंतिम दिन बुधवार प्रातः स्वामी माधवानंद जी ने भक्ति की चर्चा की. इसके तहत उन्होंने नवधा भक्ति, भक्ति के साधनों, भक्ति के प्रकार, उसके लक्षण तथा महिमा आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन किया. उन्होंने बताया कि नवधा भक्ति में कीर्ति का श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पूजा, अर्चना, वंदन, दास्य, सख्य एवं समर्पण शामिल हैं. उन्होंने कहा कि भक्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन सत्संग है, सत्संग से ही तामसी वाल्मीकि, राजसी ध्रुव तथा सात्विक प्रह्लाद का उद्धार हुआ. भक्तों के प्रकार पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भक्त चार प्रकार के होते हैं, पहले वे जो विपत्ति से छुटकारा चाहते हैं, दूसरे वे जो ईश्वर में जिज्ञासा रखते हैं, तीसरे वे जो धन की इच्छा रखते हैं (ऐसे भक्त ही सर्वाधिक हैं) और चतुर्थ वे, जो कुछ भी नहीं चाहते, बल्कि ईश्वर को आत्म-स्वरूप में अनुभव करते हैं. उन्होंने भक्तों के लक्षण की चर्चा में बताया कि सच्चे भक्त प्राणिमात्र से अपने शरीर की तरह प्रेम करते हैं. उन्होंने कहा कि भक्तों की तीनों लोकों में जयकार होती है. वे माया के बंधन से मुक्त होते हैं, जिनका सभी भजन करते हैं, भगवान भी उनका गुणगान करते हैं. पूरा संसार ‘राम-राम’ भजता है, किन्तु स्वयं श्री राम ‘भरत’ का नाम भजते हैं. उन्होंने कहा कि भक्ति का स्वरूप समझते हुए हमें सच्चा भक्त बनने की कोशिश करनी चाहिए.

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