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सुंदरनगर में जेलकर्मियों ने की फायरिंग का अभ्यास
जमशेदपुर: निशाना साधने में जेल अधीक्षक ओलिभ ग्रेस कुल्लू, जेलर नसीम खान रविवार को सफल रहे. हर गज में इन अधिकारियों ने टारगेट को पूरा किया. सुंदरनगर कुदादा स्थित फायरिंग कैंप में रविवार को घाघीडीह सेंट्रल जेल के जेलकर्मियों ने निशाने का अभ्यास किया. सुबह छह बजे से शुरू हुआ अभियान करीब साढ़े 10 बजे […]
जमशेदपुर: निशाना साधने में जेल अधीक्षक ओलिभ ग्रेस कुल्लू, जेलर नसीम खान रविवार को सफल रहे. हर गज में इन अधिकारियों ने टारगेट को पूरा किया. सुंदरनगर कुदादा स्थित फायरिंग कैंप में रविवार को घाघीडीह सेंट्रल जेल के जेलकर्मियों ने निशाने का अभ्यास किया. सुबह छह बजे से शुरू हुआ अभियान करीब साढ़े 10 बजे तक चला.
इसमें घाघीडीह सेंट्रल जेल के अधीक्षक ओलिभ ग्रेस कुल्लू, जेलर नसीम खान सहित जेल के 20 कक्षपालों ने फायरिंग का अभ्यास किया. जेल अधीक्षक सहित कक्षपालों ने तीन पोजीशन में 15 राउंड फायरिंग की. पहला टारगेट 100 गज की दूरी थी. दूसरे टारगेट 50 गज और तीसरा टारगेट 25 गज का था. हर टारगेट में 5-5 राउंड फायरिंग करना था. फायरिंग अभ्यास के दौरान 100 गज की टारगेट की दूरी पर ज्यादातर जवानों की गोलियां लक्ष्य से भटकी. ज्यों- ज्यों टारगेट की दूरी कम होते गयी, निशान अचूक होने लगा.
क्यों किया जाता है अभ्यास. विपरीत परिस्थितियों में प्रतिकूल घटना होने पर उससे कैसा मुकाबला किया जा सके और जेल कर्मिंयों के शारीरिक एवं बौद्धिक दक्षता की जांच के लिए साल में एक बार फायरिंग का अभ्यास कराया जाता है, ताकि जेलकर्मी अपना कर्तव्य पालन करने के काबिल बने रहें. अभ्यास के दौरान आधुनिक हथियारों की ट्रेनिंग भी दी जाती है. साथ-साथ हथियारों के रख रखाव संबंधी आवश्यक जानकारी भी प्रदान की जाती है.
जेल आइजी की पहल पर लंबे समय बाद हुआ अभ्यास. जेल आइजी सुमन गुप्ता की पहल पर लंबे अरसे बाद जेलकर्मियों की निशाने का अभ्यास हुआ. झारखंड गठन के बाद ज्यादातर सालों में जेल प्रशासन की ओर से निशाने का अभ्यास बंद था. राज्य के ज्यादातर जेलों में कक्षपाल का पद रिक्त है. भूतपूर्व सैनिकों के कंधों पर जेल की सुरक्षा का भार है.
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