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2017 तक सभी स्कूलों में बेंच-डेस्क व बिजली

बहरागोड़ा: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि शिक्षा से ज्ञान होता है और ज्ञान से ईमानदारी आती है. वर्तमान शिक्षा में कहीं न कहीं त्रुटि है. इस कारण अनाचार और व्यभिचार बढ़ रहा है. सरकार नैतिक, योग और महापुरुषों की जीवनी पर आधारित शिक्षा जोर दे रही है. हमें इस स्कूल के संस्थापक तारापदो […]

बहरागोड़ा: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि शिक्षा से ज्ञान होता है और ज्ञान से ईमानदारी आती है. वर्तमान शिक्षा में कहीं न कहीं त्रुटि है. इस कारण अनाचार और व्यभिचार बढ़ रहा है. सरकार नैतिक, योग और महापुरुषों की जीवनी पर आधारित शिक्षा जोर दे रही है. हमें इस स्कूल के संस्थापक तारापदो षाड़ंगी की सोच को और आगे बढ़ाने की जरूरत है. श्री दास रविवार को बहरागोड़ा के खंडामौदा ओड़िया हाइस्कूल के प्लेटिनम जुबिली समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि स्कूलों में मातृभाषा की पढ़ाई पर जोर दी जी रही है. 14 माह में जन जातीय और ओड़िया स्कूलों में 122 शिक्षकों की नियुक्ति हुई है. 18 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है. राज्य के 30 हजार स्कूलों में बेंच व डेस्क नहीं हैं. 2017 तक इन स्कूलों में बेंच और डेस्क उपलब्ध करा दिये जायेंगे. सभी स्कूलों का विद्युतीकरण भी होगा. सभी हाइस्कूल में प्रयोगशालाएं बनेंगी.
भाषायी आधार पर उपलब्ध होंगीं पुस्तकें : मुख्यमंत्री ने कहा कि भाषा और संस्कृति एक दूसरे को जोड़ती हैं. भाषा से कोई राजनीति नहीं होनी चाहिये. हर भाषा को सम्मान मिलना चाहिए. अप्रैल से स्कूलों में भाषायी आधार पर पुस्तकें उपलब्ध होंगीं.
झारखंड और भारत दर्शन के लिए अनुदान : मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत दर्शन और झारखंड दर्शन में गरीबी बाधक है. झारखंड सरकार अनुदान देकर गरीबों को भारत दर्शन और झारखंड दर्शन करायेगी.
उच्च शिक्षा के लिए अलग सचिवालय
सीएम ने कहा कि राज्य के छात्र उच्च शिक्षा के लिए अन्य राज्यों में जा रहे हैं. इसलिए हमने उच्च शिक्षा के लिए अलग सचिवालय का गठन किया है. उच्च शिक्षा की पढ़ाई शीघ्र ही शुरू होगी.
सभी को समान शिक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1991 में उदारीकरण का दौर आया. इससे शिक्षा और स्वास्थ्य पर चोट पहुंची. पैसे वालों के बच्चे बड़े स्कूलों में पढ़ लेंगे, किसी नर्सिंगहोम में इलाज करा लेंगे. लेकिन गरीब के बच्चे कहां जायेंगे. गरीब के बच्चों के लिए सरकारी स्कूल ही सहारा है. इस असमानता को दूर कर सरकार सभी को शिक्षा देने की सोच रखती है.

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