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आसान नहीं है बस्तियों में जुस्को से पानी-बिजली का कनेक्शन

जमशेदपुर: शहर की 86 बस्तियों को पानी और बिजली मिलने का रास्ता अभी भी आसान नहीं हुआ है. झारखंड हाईकोर्ट द्वारा तीन दिसंबर 2013 को दिये गये आदेश की कॉपी से यह साफ हुआ है. झारखंड हाइकोर्ट ने अपने आदेश में 86 बस्तियों के संदर्भ में जुस्को को पानी और बिजली का कनेक्शन देने का […]

जमशेदपुर: शहर की 86 बस्तियों को पानी और बिजली मिलने का रास्ता अभी भी आसान नहीं हुआ है. झारखंड हाईकोर्ट द्वारा तीन दिसंबर 2013 को दिये गये आदेश की कॉपी से यह साफ हुआ है. झारखंड हाइकोर्ट ने अपने आदेश में 86 बस्तियों के संदर्भ में जुस्को को पानी और बिजली का कनेक्शन देने का आदेश दिया है पर इस शर्त के साथ कि कनेक्शन सिर्फ वैध निर्माण को ही मिलेगा.

आदेश में लिखा है कि टाटा स्टील और जुस्को (केस में रेस्पोंडेंट नंबर पांच और छह) ने जो कनेक्शन काटे हैं, उन्हें तत्काल जोड़ने की प्रक्रिया शुरू करें. इसके लिए सभी तरह के बकायों का भुगतान आवश्यक है. वहीं नया कनेक्शन देने की बात है तो जुस्को के पास जरूरतमंद लोग अपना आवेदन देंगे. आवेदन मिलने के बाद जुस्को उसके साथ जरूरी दस्तावेजों की जांच करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि जहां पानी-बिजली का कनेक्शन मांगा जा रहा है, वह निर्माण अवैध नहीं है. चूंकि, सभी 86 बस्तियां अवैध हैं, इसलिए इनमें पानी और बिजली का कनेक्शन मिलना संभव नहीं है. झारखंड हाइकोर्ट के आदेश की कॉपी जुस्को को मिल गयी है.

क्या है मामला
तत्कालीन चीफ जस्टिस एन भगवती की अदालत ने अतिक्रमण को लेकर आदेश जारी किया था, जिसके तहत कहा गया है कि अतिक्रमित क्षेत्र में पानी और बिजली का कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है. इस आदेश के बाद ही जुस्को ने बस्तियों में पानी-बिजली का कनेक्शन देना बंद कर दिया था. इसके खिलाफ पहले झाविमो के केंद्रीय महासचिव अभय सिंह ने एक रिट दायर की थी. हाइकोर्ट ने फिर आदेश दिया कि अतिक्रमित बस्तियों में पानी और बिजली नहीं दी जा सकती. इसके बाद बस्ती विकास समिति ने फिर से केस दायर किया और पानी-बिजली की सुविधा बहाल करने की मांग की. इसी दौरान झाविमो के केंद्रीय महासचिव अभय सिंह ने भी एक अन्य याचिका दायर की. दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई करते हुए तीन दिसंबर 2013 को झारखंड हाइकोर्ट ने पानी और बिजली कनेक्शन देने का आदेश दिया, लेकिन वैध निर्माण को ही कनेक्शन देने की शर्त बरकरार रखी है.

आदेश के बाद इन इलाकों में कनेक्शन संभव
झारखंड हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में वैसी बस्तियों में पानी और बिजली मिल सकती है, जो रैयती जमीन पर हो, लीज एरिया में हो, सबलीज पर बनी हो या फिर जहां कब्जेधारियों के पास जमीन पर मालिकाना हक के दस्तावेज हों. इसके अनुसार कदमा भाटिया बस्ती, उलियान, शास्त्रीनगर, बिष्टुपुर और धातकीडीह का कुछ हिस्सा, सोनारी बागान एरिया, लक्ष्मीनगर, विद्यापतिनगर समेत वैसे इलाके जहां के मकान वैध हैं वहां जुस्को से पानी-बिजली का कनेक्शन अब आसानी से मिल सकेगा.

क्या है कोर्ट के फैसले में
पानी और बिजली के काटे गये सर्विस कनेक्शन उसी स्थिति में जोड़े जा सकते है जब उक्त मद में बकाये का भुगतान कर दिया गया हो. पानी और बिजली मद के बकाये का भुगतान तीन सप्ताह के अंदर करना होगा जिसके बाद ही कनेक्शन मिलेगा.

जहां तक नया कनेक्शन देने की बात है, तो उसके लिए जुस्को के पास निर्धारित शुल्क व दस्तावेजों के साथ आवेदन देना होगा. आवेदन मिलने पर जुस्को जांच करेगा कि जिसके लिए कनेक्शन मांगा गया है, वह निर्माण वैध है या नहीं. सिर्फ वैध निर्माण को ही कनेक्शन दिया जायेगा. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बिंदु निर्माण की वैधता की है. चूंकि, 86 बस्ती अतिक्रमित बस्तियां हैं, इस कारण इनकी वैधता पर सवाल है. ऐसे में वहां पानी और बिजली का कनेक्शन नहीं मिलेगा.

आवश्यक दस्तावेज
जमीन के मालीकाना हक संबंधी दस्तावेज

सरकारी अथॉरिटीज द्वारा स्वीकृत बिल्डिंग प्लान

सरकारी अथॉरिटीज द्वारा स्वीकृत अनापत्ति या ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट

कहां फंसा मामला
यदि टाटा स्टील या जुस्को पानी और बिजली कनेक्शन देना भी चाहें, तो जब तक आवेदन के साथ आवश्यक दस्तावेज जमा नही किये जाते तब तक नया कनेक्शन नहीं मिलेगा.

86 बस्तियों में लगभग सभी निर्माण सरकारी जमीन पर है, जो पहले टाटा लीज के अंतर्गत था. वर्ष 2005 में हुए लीज रिन्यूअल में इन इलाकों को लीज से बाहर कर दिया गया, जिसका एरिया 1700 एकड़ के करीब है. सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर निर्माण किये जाने से ये सभी नियमत: अवैध हैं.

क्या है उपाय
चूंकि ये बस्तियां सरकारी जमीन पर बसी हैं, इसलिए राज्य सरकार इन्हें नियमित करते हुए कब्जेधारियों को जमीन का मालिकाना हक दे

सरकार बस्तियों के नियमितीकरण करे या पानी-बिजली देने के लिए विधेयक पारित कर नियम बनाये

फिर से बस्तियों को लीज एरिया में शामिल कर इन्हें सबलीजी का अधिकार दे दे. टाटा लीज एरिया की वैध बस्तियों की स्थिति ऐसी ही है

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