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जिप चुनाव में झामुमो को झटका, भाजपा ने की सेंधमारी

जिप चुनाव में झामुमो को झटका, भाजपा ने की सेंधमारीझामुमो की अापसी खींचतान से मिली हार संवाददाता, जमशेदपुर : जिला परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा ने दोनों दोनों पदों पर अप्रत्याशित जीत दर्ज कर झामुमो को झटका दिया. प्रत्याशी को लेकर दल के बड़े नेताओं के बीच चल रही आपसी खीचतान से मिनी […]

जिप चुनाव में झामुमो को झटका, भाजपा ने की सेंधमारीझामुमो की अापसी खींचतान से मिली हार संवाददाता, जमशेदपुर : जिला परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा ने दोनों दोनों पदों पर अप्रत्याशित जीत दर्ज कर झामुमो को झटका दिया. प्रत्याशी को लेकर दल के बड़े नेताओं के बीच चल रही आपसी खीचतान से मिनी सदन में झामुमो से जुड़े 14 पार्षदों का समर्थन होने के बाद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के उनके प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा. बाघराय मार्डी झामुमो खेमे से रामदास सोरेन गुट के माने जाते है. मिनी सदन में उन्हें झामुमो से जुड़े 14 पार्षदों का भी समर्थन नहीं मिला. मात्र 10 वोट से उन्हें संतोष करना पड़ा. वहीं तीसरे स्थान पर रहीं पूर्व मंत्री सह चंपाई सोरेन गुट की हीरा मुनि मुर्मू को मात्र 03 वोट से संतुष्ट होना पड़ा. वह भी झामुमो खेमे से थीं. पार्टी के कुछ नेताओं ने हीरा मुनि को प्रत्याशी के तौर पर उतरा था. अंतिम समय में बाघराय मार्डी ने नामांकन कर मुकाबला को रोचक बना दिया. वहीं झामुमो समर्थित पार्षदों ने हीरा मुनि के खिलाफ गोलबंद हो गये. वहीं जिला परिषद अध्यक्ष पद के एक अन्य प्रबल दावेदार संजीव सरदार ने अंतिम समय में दावेदारी से इनकार कर दिया. वहीं दूसरी तरफ भाजपा सांसद विधुत वरण महतो और जिला पार्षद राजकुमार सिंह की रणनीति काम आयी. इन दोनों की अहम भूमिका रहने से दोनों ही सीट पर भाजपा समर्थकों ने कब्जा जमा झामुमो को झटका दिया. जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में निर्वाचित हुए सभी 27 पार्षदों ने भाग लिया. जिप अध्यक्ष से ज्यादा मतों के अंतर से जीते उपाध्यक्ष जिप उपाध्यक्ष पद चुनाव में जिला परिषद सदस्य राजकुमार सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी स्वपन महतो को 17 मतों से हराया. राजकुमार सिंह को 22 वोट मिले. स्वपन महतो भी झामुमो से जुड़े हुए है. उन्हें भी पार्टी समर्थक पार्षदों का सहयोग नहीं मिला. सुबह तक बनता रहा समीकरण जिप अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर जीत का समीकरण मंगलवार की सुबह तक बनता रहा. रांची में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर सहमति नहीं बनने पर झामुमो खेमे से जुड़े प्रत्याशी सोमवार की रात लौट आये. सूत्र बताते है कि कई प्रत्याशी ऐसे थे, जिनके पास वापस शहर आने के लिए कोइ साधन या पैसा तक नहीं थे. ऐसा पार्टी के नेताओं द्वारा उस प्रत्याशी के नाम की घोषणा से हुई. ज्यादातर पार्षद हीरामुनी के खिलाफ गोलबंद हो गये और हार का प्रमुख कारण बना. पार्टी ने नहीं बनाया जिलाध्यक्ष, खुद बन गये जिप उपाध्यक्ष बर्मामांइस मंडल से भाजपा से राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले राजकुमार सिंह को पार्टी ने जिलाध्यक्ष नहीं बनाया. तो वे खुद परसुडीह में अपनी मेहनत से दो बार जिला पार्षद का चुनाव जीते. दूसरी बार के चुनाव में उन्होंने रिकार्ड मत से चुनाव जीत सबकी बोलती बंद करा दी. अब जिप उपाध्यक्ष पद पर जीत दर्ज कर अपनी अलग पहचान बनायी. बर्मामांइस मंडल के अलावा वे जिला भाजपा युवा मोरचा के उपाध्यक्ष भी रहे. एक समय वे मुख्यमंत्री रघुवर दास के खासे नजदीक थे. रामबाबू तिवारी के साथ हुए विवाद के बाद वे दल से जुड़े रहे, लेकिन अपनी राजनीतिक गतिविधि का केंद्र सबसे ज्यादा परसुडीह क्षेत्र रखा. हर बार जिलाध्यक्ष की रेस में उनका नाम आगे रहा,लेकिन अंतिम समय में जिलाध्यक्ष पद की रेस में पिछड़ गये. अब खुद जिला परिषद उपाध्यक्ष पद पर दावेदारी कर चुनाव जीत गये.

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