हेल्थ बुलेटिन::::::::पाइल्स::::संपादितफोटोडॉ कुमारी सरिता, होम्योपैथिक कब्जियत से हो सकती है पाइल्स की बीमारी पाइल्स यानी बवासीर की बीमारी कई कारणों से होती है. यह अानुवांशिक कारणों से, खानपान में तेल व मसालों का ज्यादा सेवन करने से, रहन-सहन ठीक न होने से यानी शारीरिक श्रम न करने से व लेट से सोने या जागने जैसी दिचनर्चा अपनाने के कारण भी यह बीमारी हो सकती है. शुरुआत में मरीज को कब्जियत होती है, जिसके कारण आगे चलकर बवासीर की बीमारी होती है. पहले यह बुजुर्ग लोगों में ज्यादा होती थी. लेकिन, आज के समय में यह बीमारी यंग जेनरेशन यानी 13 से 14 साल तक के बच्चों को भी हो जाती है. बीमारी होने से मल द्वार में जलन, शौच से पहले, शौच के दौरान व बाद में दर्द होता है. सीवियर केस में ब्लीडिंग व मांस का निकलना जैसे लक्षण भी दिखायी देते हैं. इसको देखते हुए डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए. बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि लाइफस्टाइल में सुधार किया जाये, सुबह समय से शौच जायें. समय से सोयें व उठें. फाइबर युक्त डाइट लें. रोजाना एक फ्रूट का सेवन जरूर करें. हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें. होम्योपैथिक में भी इस बीमारी का सौ फीसदी इलाज संभव है. बीमारी : पाइल्स लक्षण : कब्जियत होना, मल द्वार में जलन, शौच से पहले, शौच के दौरान व बाद में दर्द होना, सीवियर केस में ब्लीडिंग व मांस निकलना. बचाव : लाइफस्टाइल में सुधार करें, सुबह समय से शौच जायें, फाइबर युक्त डाइट लें, रोजाना एक फ्रूट व हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें.
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हेल्थ बुलेटिन::::::::पाइल्स::::संपादित
हेल्थ बुलेटिन::::::::पाइल्स::::संपादितफोटोडॉ कुमारी सरिता, होम्योपैथिक कब्जियत से हो सकती है पाइल्स की बीमारी पाइल्स यानी बवासीर की बीमारी कई कारणों से होती है. यह अानुवांशिक कारणों से, खानपान में तेल व मसालों का ज्यादा सेवन करने से, रहन-सहन ठीक न होने से यानी शारीरिक श्रम न करने से व लेट से सोने या जागने जैसी […]
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