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जीवन को दुखों का गागर न बनायें

जीवन को दुखों का गागर न बनायेंफ्लैग::: बारीडीह : सत्यार्थ प्रकाश ने बताये सुखी जीवन के सूत्रलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर जीवन सुख का सागर है, उसे अपनी आशा-अपेक्षाओं का बोझ डाल कर उसे दुखों का गागर नहीं बनाना चाहिए. हम उसका आनंद नहीं लेते जो हमें प्राप्त है, बल्कि उसकी चिंता कर दुखी होते हैं, […]

जीवन को दुखों का गागर न बनायेंफ्लैग::: बारीडीह : सत्यार्थ प्रकाश ने बताये सुखी जीवन के सूत्रलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर जीवन सुख का सागर है, उसे अपनी आशा-अपेक्षाओं का बोझ डाल कर उसे दुखों का गागर नहीं बनाना चाहिए. हम उसका आनंद नहीं लेते जो हमें प्राप्त है, बल्कि उसकी चिंता कर दुखी होते हैं, जो हमें उपलब्ध नहीं है. उक्त बातें प्राकृतिक धर्म की ओर से बारीडीह में आयोजित प्रवचन के दूसरे दिन धर्म प्रचारक सत्यार्थ प्रकाश ने कहीं. उन्होंने कहा कि आवश्यकताएं गरीब की ही पूरी होती हैं, किन्तु इच्छाएं अमीरों की भी अधूरी रह जाती हैं. इसलिए, इच्छाओं के पीछे न भागें. आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास करें. इच्छाएं अनंत हैं. अति इच्छा रखने वाले और असंतोषी लोग हमेशा दुखी रहते हैं. यदि शांति की चाह है, तो सामर्थ्यवान लोगों को देखें. सुख और शांति एक साथ नहीं मिल सकते. सुख और शांति के लिए सुविधाएं एवं संसाधन नहीं अपने स्वभाव को बदलना चाहिए. उन्होंने कहा कि भौतिक सुख साधन क्षणिक हैं, जो समस्याएं पैदा करते हैं. व्यवस्था परिवर्तन या समस्या के स्थायी समाधान के लिए ढांचा नहीं सांचा बदलने की जरूरत है. जैसा हमारा सांचा होगा, वैसा ही निर्माण होगा. उन्होंने कहा कि पुण्य कर्म केवल वे नहीं हैं, जिनसे आपको लाभ होता है. अपितु वे कर्म पुण्य हैं जिनसे दूसरों का भी भला हो. पुण्य कर्म का उद्देश्य जीवन के उपरांत स्वर्ग की प्राप्ति नहीं, बल्कि जीते जी जीवन को स्वर्ग बनाना है. स्वर्ग के लिए पुण्य करना बुरा नहीं, किन्तु परमार्थ के लिए पुण्य करना ज्यादा श्रेष्ठ है. शुभ भावना से किया गया हर कार्य ही पुण्य है. अशुभ भावना के साथ किया गया कर्म पाप है. जो कर्म भगवान को प्रिय होते हैं, वही कर्म पुण्य होते हैं.

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