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कम हुई परदेसी परिंदों की आमद

कम हुई परदेसी परिंदों की आमद हिमालय की तराई तथा ठंडे देशों के परिंदों को अपने शहर और आसपास का मनोहारी दृश्य हमेशा से आकर्षित करता रहा है. हर साल यहां बड़ी संख्या में परदेसी परिंदे आते रहे हैं. इन्हें हम समग्र रूप में साइबेरियन पक्षी के रूप में जानते हैं. भोजन-पानी की तलाश में […]

कम हुई परदेसी परिंदों की आमद हिमालय की तराई तथा ठंडे देशों के परिंदों को अपने शहर और आसपास का मनोहारी दृश्य हमेशा से आकर्षित करता रहा है. हर साल यहां बड़ी संख्या में परदेसी परिंदे आते रहे हैं. इन्हें हम समग्र रूप में साइबेरियन पक्षी के रूप में जानते हैं. भोजन-पानी की तलाश में ये पक्षी हजारों किलोमीटर उड़ कर यहां आते हैं. ये एक बार जिस जगह आते हैं, दोबारा भी उसी जगह पर और निश्चित समय पर ही आते हैं. हालांकि, शहर और आसपास के क्षेत्रों के भौतिक विकास ने इनकी राह में भी रोड़ा खड़ा किया है. इस बार भी साइबेरियन पक्षी अपने शहर के जलाशयों के आसपास अपना बसेरा डाले हुए हैं. लेकिन, इनकी संख्या विगत वर्षों के मुकाबले कम हुई है. लाइफ @ जमशेदपुर की यह रिपोर्ट… शहर में कहां-कहां दिखते हैं पक्षीकौन-कौन से हैं पक्षीइन प्रवासीय पक्षियों में वैग टेल यानी खंजन चिड़िया, रेड क्रेसटेड पोचार्ड या लालसर, नॉर्दन पिनटेल, डार्टर, जाकाना, स्पॉटेड पाइपर, गडुवाल व लार्ज ग्रेब आदि करीब 20-22 तरह के पक्षी शामिल हैं. कहां से आते हैं ये पक्षी रिसर्च के मुताबिक ये पक्षी ट्रांस हिमालयन एरिया, यूरोप के कुछ हिस्सों, बलूचिस्तान, रूस के कुछ भाग, साइबेरिया व कश्मीर रीजन से आते हैं. कब आते हैं प्रवास परजानकारों की राय में सिंहभूम रीजन में ये पक्षी प्राय: सितंबर के दूसरे सप्ताह में आना शुरू कर देते हैं. कई बार इन्हें अगस्त के अंतिम सप्ताह में भी देखा गया है. ये यहां करीब छह महीने रहते हैं. गरमी पड़ने पर मध्य मार्च तक ये लौट जाते हैं. क्यों करते हैं प्रवास प्रवासीय पक्षी जिस समय शहर आते हैं, उस दौरान ट्रांस हिमालयन एरिया का तापमान शून्य डिग्री और माइनस में चला जाता है. इस वजह से इन पक्षियों के आहार कीड़े-मकोड़े आदि बर्फ के अंदर चले जाते हैं. ऐसे में इन्हें भोजन मिलना मुश्किल हो जाता है. सर्दी में भूख अधिक लगती है. दिन भी छोटा होता है. इस वजह से आसपास कहीं भोजन की तलाश नहीं की जा सकती है. इस कारण भोजन की तलाश में ये दूर की उड़ान भरते हैं. पिरियोडिकली करते हैं मूवमेंट ये पक्षी जहां से चलते हैं, उसे ब्रीडिंग साइड और जहां प्रवास करते हैं उसे विंटर साइड कहा जाता है. ब्रीडिंग साइड से विंटर साइड के मूवमेंट को पिरियोडिकली मूवमेंट कहा जाता है. ये ब्रीडिंग साइड से गोल आेरिएंटेड नेविगेशन करते हैं. यानी गंतव्य स्थान तक पहुंचने के दौरान पिछले साल जहां-जहां रुके, इस बार भी वहां-वहां ही रुकते हैं. जानकारों की राय में प्रवास के दौरान ये एक बार जहां आते हैं, अगले साल भी वहीं पर आते हैं. अन्य जगह हरगिज नहीं जाते. हां, यह जरूर है कि ये लोकल माइग्रेशन करते हैं. यानी, भोजन की खोज में शहर में ही एक तालाब से दूसरे तालाब में जाते हैं. ————उम्र के हिसाब से भरते हैं उड़ान उड़ान भरने वाले छोटे-बड़े हर आकार के पक्षी होते हैं. इनमें बड़े पक्षी दिन में उड़ान भरते हैं. बड़े होने की वजह से इन्हें रास्ते में किसी तरह के शिकारी बाज आदि से डर नहीं लगता. कहां भोजन मिलेगा, इन्हें मालूम होता है. इसलिए ये रास्ते में रुक भी जाते हैं. रात में ये विश्राम करते हैं. अगली सुबह फिर उड़ान भरते हैं. इसके विपरीत छोटे पक्षियों को दिन में बाज आदि बड़े पक्षियों का डर रहता है. इसलिए ये रात में ही उड़ान भरते हैं. इन छोटे पक्षियों को फिंच कहते हैं. 12 घंटे तक लगातार उड़ान प्रवासी जलीय पक्षी काफी मजबूत होते हैं. खासकर छोटे पक्षी. छोटे पक्षी रात में उड़ान भरते हैं. खास बात यह है कि एक बार उड़ान शुरू करने के बाद ये सुबह ही दम लेते हैं. इस दौरान न तो ये कहीं रुकते हैं और न ही खाना खाते हैं. इस प्रकार के 12 घंटे तक लगातार बिना खाये-पिये उड़ान भर सकते हैं. दिनभर देते हैं दिखायी ये पक्षी दिनभर में कभी भी दिखायी दे सकते हैं. ये दोपहर में भी भोजन की तलाश करते हैं. ये ऐसे तालाब पर ही जाना पसंद करते हैं, जहां किसी तरह का व्यवधान न हो. किसी तरह के शोरगुल व अन्य खतरे का अंदाजा होने पर ये उस जगह को छोड़ देते हैं. भोजन के बाद ये प्राय: आसपास के पेड़ों पर ही विश्राम करते हैं. कुछ पक्षी ऐसे भी होते हैं, जो दिनभर भोजन के बाद रात में भी पानी में रह जाते हैं. ये पानी में ही तैरते हुए सो जाते हैं. मार्च में करते हैं वापसी शहर का तापमान जब 35 डिग्री के आसपास होने लगता है, तो ये लौटने लगते हैं. यह समय मध्य मार्च का होता है. इस समय तक ट्रांस हिमालय आदि एरिया में बर्फ पिघलने लगती है. यहां का तापमान भी थोड़ा अधिक हो जाता है. इन जलीय पक्षियों के भोजन अब मिलने लगते हैं. इस वजह से ये वापस नेटिव प्लेस में लौट जाते हैं. ———-(नीचे के तीनों हाइलाइटर्स को पैकेज के ऊपरी हिस्से में बॉक्स में लें.)-टिस्को प्लांट लेक (यहां कई प्रजाति के प्रवासी पक्षी दिखायी देते हैं). -ब्लू स्कोप (नॉर्थ एग्रिको एरिया). -डिमना लेक, जुबिली पार्क लेक, स्वर्णरेखा तट. कम हो गया है प्रवासकुछ साल पहले तक ये जलीय पक्षी शहर के प्राय: हर तालाब में दिखायी देते थे. लेकिन, अब कुछ जगह कम दिखायी देते हैं. को-ऑपरेटिव कॉलेज के जंतु विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो केके शर्मा बताते हैं कि जब से जुबिली पार्क स्थित लेक में बोटिंग शुरू हुई है, तब से इन प्रवासी पक्षियों का यहां आना कम हो गया है. इसी तरह से अन्य इलाके में जहां व्यवधान हो रहा है, वहां से ये दूर जा रहे हैं. इन पक्षियों का स्वाभाव होता है कि ये किसी तरह का खतरा होने पर शिकार नहीं करते. कोट ————-शहर में 20-22 प्रजाति के प्रवासी पक्षियों का अध्ययन किया गया है. इन पक्षियों का आना और जाना ट्रांस हिमालयन एरिया में बर्फबारी और शहर में पड़ने वाली गर्मी पर निर्भर करता है. जल्दी बर्फबारी पर ये जल्दी आ जाते हैं. यहां जल्दी गर्मी पड़ने पर चले भी जल्दी जाते हैं. प्रवास करने वाले छोटे पक्षी आंतरिक रूप से काफी मजबूत होते हैं. यही कारण है कि ये रातभर बिना रुके ऑन विंग उड़ान भरते हैं. इस दौरान कहीं भोजन नहीं करते. प्रवासी जलीय पक्षी की यह भी खूबी है कि ये एक बार जिस जगह पर आते हैं, अगली बार भी उसी जगह पर और प्राय: उसी समय में आते हैं.-प्रो केके शर्मा, जंतु विज्ञान विशेषज्ञ

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