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कचरे के शहर में तब्दील हो रहा जमशेदपुर (फोटो उमा)

कचरे के शहर में तब्दील हो रहा जमशेदपुर (फोटो उमा)फ्लैग-शहर में कचरा प्रबंधन नहीं होने से पर्यावरण में फैल रहा जहर – कचरा डंपिंग कर भरा जा रहा स्थान, भविष्य में होगा खतरनाक – नियमों को ताक पर रख जलाया जा रहा कचरा, वायु हो रहा प्रदूषितवरीय संवाददाता, जमशेदपुरस्टील, ग्रीन और क्लीन सिटी के नाम […]

कचरे के शहर में तब्दील हो रहा जमशेदपुर (फोटो उमा)फ्लैग-शहर में कचरा प्रबंधन नहीं होने से पर्यावरण में फैल रहा जहर – कचरा डंपिंग कर भरा जा रहा स्थान, भविष्य में होगा खतरनाक – नियमों को ताक पर रख जलाया जा रहा कचरा, वायु हो रहा प्रदूषितवरीय संवाददाता, जमशेदपुरस्टील, ग्रीन और क्लीन सिटी के नाम से विख्यात जमशेदपुर आज कचरा प्रबंधन के अभाव में नारकीय स्थिति में है. कुछेक प्रयासों को छोड़ दिया जाये, तो टाटा कमांड एरिया, जमशेदपुर अक्षेस, मानगो अक्षेस या जुगसलाई नगरपालिका क्षेत्र में सॉलिड वेस्ट (कचरा) डिस्पोजल का कोई इंतजाम नहीं है. शहर के विभिन्न क्षेत्रों से कचरा उठाव के बाद उसे डंप कर दिया जाता है. इसका निस्तारण या रिसाइक्लिंग की व्यवस्था नहीं है. इस कारण शहर के कई स्थानों पर कचरा का पहाड़ बन गया है. इसके आसपास के लोगों का जीना मुहाल हो गया है. गंभीर बीमारियों के साथ बदबू से लोग परेशान हैं. इंटरनेशनल बिल्डिंग के पास बीमारियों का घरएक्सएलआरआइ ने मरीन ड्राइव की ओर से इंटरनेशनल बिल्डिंग बनायी है. यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर की पढ़ाई होगी. उसके ठीक दोनों ओर कचरे का पहाड़ तैयार है. इसे किसी तरह ढंक कर गंदगी समाप्त करने की कोशिश हो रही है. उससे करीब दस कदम की दूरी पर फिर से डंपिंग कर कचरे से गड्ढे भरे जा रहे हैं. इस कचरे में हर रोज आग लगा दी जा रही है, जिससे प्रदूषण हो रहा है. आसपास की बस्तियों के लोग काफी परेशान हैं. नियमों का उल्लंघन कर डंपिंग कचरों में आग लगायी जा रही है.नदी किनारे निकाय व जुस्को कर रही डंपिंगप्रदूषण समितियां, बोर्ड के अधिकारियों ने कई बार टाटा ब्लूस्कोप, टिमकेन इंडिया के पीछे बाबूडीह के आसपास कचरा डंपिंग रोकने की हिदायत दी, लेकिन यह बदस्तूर जारी है. हालात यह है कि आसपास की बस्तियों में रहने वाले लोगों का जीना दूभर हो गया है. लोग गंदगी के बीच में रहने को विवश हैं. जुस्को का प्रयास सार्थक, सरकारी सिस्टम फेलजुस्को की ओर से कचरा निष्पादन को लेकर कई कदम उठाये गये हैं. भोजन की बरबादी रोकने के लिए बायो गैस प्लांट लगाये गये हैं, तो प्लास्टिक से सड़कें बनायी गयी हैं. वहीं एमएसडब्ल्यू को लेकर ठोस कदम उठाये गये है. हालांकि यह नाकाफी है. दूसरी ओर सरकारी सिस्टम पूरी तरह फेल है. सरकार की ओर से खैरबनी में अबतक कचरा प्लांट नहीं लगाया जा सका. जेएनयूआरएम के तहत करीब 45 करोड़ की परियोजना की राशि खर्च ही नहीं हो पायी. हर दिन निकलता है 387.98 टन कचराएक आकलन के मुताबिक, जमशेदपुर में सबसे ज्यादा कचरा निकलता है. यहां हर दिन 387.98 मीट्रिक टन कचरा निकलता है. रोजाना 0.59 किलोग्राम प्रति व्यक्ति कचरा निकालता है. कचरा निष्पादन को लेकर ठोस व्यवस्था नहीं होने से स्थिति भयावह है. कचरा निस्तारण की प्लानिंग जरूरी : मानगो अक्षेसमानगो अक्षेस के विशेष पदाधिकारी जगदीश यादव ने बताया कि यह सही है कि कचरे की रिसाइक्लिंग या या ठोस प्रबंधन नहीं हो पा रहा है. इसके लिए ठोस प्लानिंग जरूरी है. सरकार भी गंभीर है. कचरा निष्पादन का मसला निबटायेंगे : जमशेदपुर अक्षेसजमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी दीपक सहाय ने बताया कि कचरा निस्तारण प्लांट की समस्या का निराकरण जल्द किया जायेगा. इस मसले को सुलझाना टॉप प्रायोरिटी में है. कचरे से लैंड फिल : भविष्य में आयेगी समस्याएं कचरे का उचित प्रबंधन किया गया, तो कचरे से लाभ हो सकता है. शहरी कचरा जैविक व अजैविक होता है. जैविक कचरे से बेहतर खाद बनायी जा सकती है. अजैविक कचरे के रिसाइकलिंग से कई चीजें आसानी से हासिल हो सकती हैं. कचरा प्रबंधन के लिए योजना स्थानीय स्तर पर क्रियान्वित की जानी चाहिए. भूमि भरण (लैंड फिल) के लिए कचरे का उपयोग करना भविष्य में कई समस्याओं को उत्पन्न करता है. दंडनीय है कचरा जलाना पर्यावरण सुरक्षा एक्ट 1986 और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार वर्ष 1994 से कचरा जलाने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. कचरे को आग लगाने वाले व्यक्ति पर धारा 133 के अंतर्गत कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है. शहर में रोजाना यह अपराध हो रहा है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी. कचरे के धुएं से पर्यावरण को नुकसान कचरा जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड जैसी जहरीली गैस निकलती है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक है. कचरे से निकलने वाले सफेद धुएं में वायुमंडल में बैक्टिरिया और वायरस जल्दी पनपते हैं, जिससे कई बीमारियां होती हैं. वायुमंडल में पैदा होने वाले वायरस और बैक्टीरिया के कारण खाद्य पदार्थ भी जल्दी खराब होते हैं.

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