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परीक्षा में बहुत काम आते हैं टीचर के नोट्स

परीक्षा में बहुत काम आते हैं टीचर के नोट्सवर्षा सिंह मार्क्स : 93 प्रतिशत रैंक : स्कूल थर्ड टॉपर संकाय : साइंस स्कूल : एडीएलएस सनसाइन, साकची बोर्ड : आइसीएसइ माता-पिता : रीता सिंह-अखिलेश प्रताप लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैंने तैयारी को लेकर टारगेट फिक्स कर लिया था कि मुझे अच्छे नंबरों से पास होना […]

परीक्षा में बहुत काम आते हैं टीचर के नोट्सवर्षा सिंह मार्क्स : 93 प्रतिशत रैंक : स्कूल थर्ड टॉपर संकाय : साइंस स्कूल : एडीएलएस सनसाइन, साकची बोर्ड : आइसीएसइ माता-पिता : रीता सिंह-अखिलेश प्रताप लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैंने तैयारी को लेकर टारगेट फिक्स कर लिया था कि मुझे अच्छे नंबरों से पास होना है और स्कूल में पोजीशन भी लाना है. इसके लिए मैंने स्कूल में होने वाले हर टर्म पर ध्यान दिया. इस तरह मेरी तैयारी अच्छी होती चली गयी. हर परीक्षा की तैयारी पूरी हो बोर्ड परीक्षा से पहले स्कूल में तीन टर्म हुए थे. फर्स्ट टर्म, सेकेंड टर्म और प्री बोर्ड परीक्षा. तीनों की मैंने अच्छी तैयारी की थी. दरअसल, बोर्ड परीक्षा में बेहतर रिजल्ट देना स्कूल का भी टारगेट होता है. स्कूल की तरफ से इसी हिसाब से तैयारी करायी जाती है. टर्म में बोर्ड पैटर्न पर ही सवाल पूछे जाते हैं और कॉपी की जांच भी इसी आधार पर होती है. इसलिए, मैंने हर टर्म को सीरियसली लिया और अच्छी तैयारी की. नोेट्स और किताब को ध्यान से पढ़ें मुझे पहले लगता था कि क्लास में टीचर जो नोट दे रही हैं, उसके अतिरिक्त भी पढ़ने की जरूरत है. बोर्ड परीक्षा के बाद मैं अनुभव के आधार पर कह सकती हूं कि टीचर के नोट्स काफी होते हैं. नोट और किताब से ही अच्छी तरह से तैयारी की जाये, तो मेरे ख्याल से एक्सट्रा पढ़ने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. रूटीन बनाकर की पढ़ायीटर्म की अच्छी तैयारी करने की वजह से मेरी अच्छी तैयारी होती जा रही थी. प्री बोर्ड के बाद हर विषय पर ध्यान जाये, इसके लिए रूटीन बना लिया था. इसका अंत तक फॉलो किया. मेरा मानना है कि अंतिम महीने में हर छात्र को बोर्ड परीक्षा की प्लानिंग कर लेनी चाहिए. अच्छी प्लानिंग होने से आप तनाव में नहीं आयेंगे. गणित का रोज करती थी अभ्यास मैं गणित का रोज अभ्यास करती थी. साइंस पढ़ना भी रोज के रूटीन में शामिल था. इतिहास और नागरिक शास्त्र के अलावा मेरी अन्य विषयों की अच्छी तैयारी थी. इतिहास में बड़े-बड़े अध्याय थे. इस वजह से उसे याद करने में परेशानी होती थी. अंतिम समय में मैंने यह रणनीति अपनायी कि जिसे मैं जानती हूं, उसे अच्छी तरह से दोहरा लेती थी. तनावमुक्त होना चाहिए वातावरण स्कूल हो या घर, पढ़ायी के लिए माहौल तनावमुक्त होना चाहिए. ऐसे वातावरण में ही अच्छी तैयारी हो सकती है. अपनी बात कहूं, तो मैं तैयारी के दौरान प्राय: तनावमुक्त ही रही. इसमें मेरे माता-पिता का काफी योगदान रहा. उनके सपोर्ट से ही मैं परीक्षा को लेकर कभी दबाव में नहीं आयी. मैं इंजीनियरिंग फील्ड में कैरियर बनाना चाहती हूं. इसकी तैयारी शुरू कर दी है. बात पते की लक्ष्य निर्धारित कर तैयारी करें इधर-उधर भटकें नहीं, परीक्षा पर फोकस करें टीचर की बतायी बातों पर गौर करें

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