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टॉपर टॉक : शिवानी वर्मा ::::::संपादित

टॉपर टॉक : शिवानी वर्मा ::::::संपादितटारगेट फिक्स कर तैयारी करेंशिवानी वर्मा मार्क्स : 89 प्रतिशत रैंक : स्कूल सेकेंड टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : दयानंद पब्लिक स्कूल, साकची बोर्ड : आइसीएसइ माता-पिता : बेबी वर्मा, विजय कुमार वर्मा लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैंने बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए एक टारगेट फिक्स कर लिया […]

टॉपर टॉक : शिवानी वर्मा ::::::संपादितटारगेट फिक्स कर तैयारी करेंशिवानी वर्मा मार्क्स : 89 प्रतिशत रैंक : स्कूल सेकेंड टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : दयानंद पब्लिक स्कूल, साकची बोर्ड : आइसीएसइ माता-पिता : बेबी वर्मा, विजय कुमार वर्मा लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैंने बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए एक टारगेट फिक्स कर लिया था कि मुझे प्री बोर्ड तक सेलेबस पूरा कर लेना है. प्री बोर्ड तक मैंने सेलेबस लगभग पूरा कर लिया था. कुछ विषय में दिक्कत हो रही थी, उसके लिए अलग से समय निकाला. हर दिन करती थी रीविजन प्री बोर्ड से पहले की बात करें तो इस समय क्लास होती थी. इसलिए सेल्फ स्टडी के लिए कम समय मिल पाता था. इस दौरान मैं घर पर दो से तीन घंटे पढ़ पाती थी. इस समय मैं क्लास में पढ़ाये गये पाठ का रीविजन करती थी. अगले दिन के पाठ को भी पढ़ कर जाती थी, ताकि इसे समझने में दिक्कत न हो. छूटे हुए पाठ के लिए निकाला समय क्लास में पढ़ायी के दौरान मुझसे कुछ विषय के कुछ पाठ छूट गये थे. इसे मैं हर हाल में प्री बोर्ड से पहले खत्म कर लेना चाहती थी. सो इस पर भी समय देती थी. उदाहरण के लिए इतिहास में कुछ अध्याय मुझसे छूट गये थे. समय निकाल कर इसे हर दिन कवर करती जा रही थी. कुछ विषयों में हुई परेशानीमुझे कुछ विषयों में परेशानी हुई. मैथ्स में टेंजेंट एंड इट्स प्रोपर्टीज और सिमेट्री में दिक्कत हुई. कॉमर्स में मार्केटिंग एंड फंक्शन 72 पेज का चैप्टर था. लंबा चैप्टर होने की वजह से इसे याद रखना थोड़ा मुश्किल होता था. इसी तरह से इतिहास के अध्याय भी काफी लंबे थे. क्वेश्चन बैंक से की तैयारी मैथ्स की तैयारी के लिए मैंने क्वेश्चन बैंक का सहारा लिया. मैंने पिछले दस सालों के प्रश्न बना लिये थे. इसके अलावा किताब के एग्जांपल को भी सॉल्व किया था. कॉमर्स पर मैंने अलग से मेहनत की. रोज तीन-चार पेज बना लेती थी. और इसका रीविजन भी कर लेती थी. इतिहास भी एक-एक अध्याय रोज याद करती थी. खुद को जांचती भी थी जब मैं किसी विषय के किसी अध्याय को याद कर लेती थी तो चैप्टर से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न बनाकर उसका उत्तर लिखती थी. एक तरह से मैं खुद का टेस्ट लेती थी. ऐसा करने से पाठ तो अच्छी तरह याद होते ही थे, मेरा कॉन्फिडेंस लेवल भी बढ़ जाता था. दीदी से मिली मदद किसी तरह का डाउट होने पर पहले तो मैं खुद ही उसे हल करने की कोशिश करती थी. इसके बाद दिक्कत होने पर मैं टीचर से पूछती थी. मुझे दीदी संध्या गुप्ता से भी काफी मदद मिली. वह सीए कर रही हैं. काॅमर्स से संबंधित प्रश्नों का हल वह विस्तार से बताती थीं. करना चाहती हूं एमबीए मैं कोलकाता स्थित गोयनका कॉलेज से एमबीए करना चाहती हूं. एमबीए करने के बाद किसी बड़ी कंपनी में अच्छी सी नौकरी करना मेरा लक्ष्य है. बात पते की एक टारगेट सेट कर तैयारी करेंरीविजन जरूर करें, इससे आप पाठ भूलेंगे नहीं तनाव में न रहें, सिर्फ अपनी तैयारी पर ध्यान दें

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