जमशेदपुर: जेएनएसी की कार्यप्रणाली में कई विरोधाभाष साफ दिखता है. जेएनएसी जहां अपने क्षेत्र में भवन निर्माण की अनुमति झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2000 की धारा 188 और जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के भवन उपनियम की कंडिका 7.1 के तहत देता है, वहीं नक्शा विचलन कर बनाये जा रहे भवनों पर कार्रवाई की बात आती है तो जारी नोटिस में झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 का जिक्र करती है. सवाल यह उठता है कि 2011 का कानून आ जाने के बावजूद जेएनएसी 2000 के कानून को ही भवन निर्माण की अनुमति देने का आधार क्यों बना रहा है.
विरोधाभाष यहीं खत्म नहीं होता. जेएनएसी द्वारा आरटीआइ के तहत दी गयी जानकारी में भी गड़बड़झाला है. सोनारी बैरझाबरा निवासी बंटी शर्मा ने आरटीआइ में यह पूछा कि भवन नियमावली (बिल्डिंग बाइलॉज) 2007 या 2011 के अनुसार निर्माणाधीन भवन में यदि पारित नक्शा से विचलित कर बनाये गये भवन को नियमितीकरण के लिए क्या-क्या प्रावधान है, जिसके जवाब में जमशेदपुर अक्षेस के जनसूचना पदाधिकारी ने 24-7-2015 को बताया कि जमशेदपुर भवन उपविधि 2007 ही अभी तक प्रभावी है. 2011 का कोई भवन नियमावली नहीं है. विचलन कर किये गये भवन निर्माण नियमितीकरण के लिए जमशेदपुर भवन उपविधि के एपेंडिक्स 1 में प्रावधानों का वर्णन है, जिसे देखा जा सकता है. सूचना आधी अधूरी होने के कारण फिर से कुछ जानकारी मांगी गयी
दी जाती है. दूसरे जवाब में 11-09-2015 को जमशेदपुर अक्षेस द्वारा ही यह लिखा गया कि नक्शा विचलन कर बनाये जा रहे भवनों को ढाहने व कार्य को रोकने के लिए झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 436 व 437 (1) के तहत प्रावधान है. इसके अलावा शहर में जितने भी नोटिस जारी किये गये है, उसमें 2011 के प्रावधान का ही उल्लेख किया गया है.
2007 व 2011 का नफा नुकसान
1. वर्ष 2007 के अक्षेस के बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार तत्काल काम बंद कराने या बिल्डिंग को तोड़ने या सीलिंग का कोई प्रावधान नहीं है. वहीं झानअ 2011 में नोटिस देने के 15 दिनों के बाद काम रोकने का भी प्रावधान है जबकि विचलित हिस्सा को तोड़ने का भी आदेश है.
3. वर्ष 2007 के बायलॉज के अनुसार ज्यादा क्षेत्र को रेगुलराइज करने व फाइन का प्रावधान था जबकि वर्ष 2011 के अधिनियम के अनुसार कम क्षेत्र को रेगुलराइज करने का प्रावधान है.