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पी-पेसा नाम की कोई चीज नहीं : सालखन मुर्मू

पी-पेसा नाम की कोई चीज नहीं : सालखन मुर्मू जमशेदपुर. झारखंड दिशोम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष-सालखन मुर्मू ने कहा कि स्वामी अग्निवेश और आदिवासी बुद्धिजीवी मंच द्वारा अनुसूचित क्षेत्र में पंचायत चुनाव को असंवैधानिक बताना बिलकुल गलत है. पेसा कानून-1996, पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों के लिए संविधान के अनुच्छेद-243 एम, 4(बी) में संशोधन के बाद बना […]

पी-पेसा नाम की कोई चीज नहीं : सालखन मुर्मू जमशेदपुर. झारखंड दिशोम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष-सालखन मुर्मू ने कहा कि स्वामी अग्निवेश और आदिवासी बुद्धिजीवी मंच द्वारा अनुसूचित क्षेत्र में पंचायत चुनाव को असंवैधानिक बताना बिलकुल गलत है. पेसा कानून-1996, पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों के लिए संविधान के अनुच्छेद-243 एम, 4(बी) में संशोधन के बाद बना है. अर्थात पहले अनुसूचित क्षेत्रों में इस अनुच्छेद के तहत ग्राम पंचायत चुनाव और नगर निकाय चुनाव वर्जित थे. मगर उपरोक्त संशोधन के बाद पेसा कानून के तहत भारत के 10 प्रदेशों के शिड्यूल एरिया में पंचायत चुनाव संभव हो गया. यह संशोधन दिलीप सिंह भूरिया कमेटी के 17.1.1995 रिपोर्ट पर आधारित है. उन्होंने कहा कि अब स्वामी और मंच तर्क पेसा कानून की धारा-4 के एन और ओ पर आधारित है. जो संविधान के छठवीं अनुसूची क्षेत्रों के लिए है. इन्हें पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों की राज्य सरकारें इच्छानुसार अपना सकती हैं. वे बाध्य नहीं हैं. इनका यह तर्क सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं सकता है. पी-पेसा नाम की कोई चीज नहीं है. वर्तमान पंचायत चुनाव बिलकुल संधैधानिक और कानूनसम्मत है.

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