विसर्जन मेले में आस्था और मस्ती पूर्वाह्न 11 बजे से मानगो, भुइयांडीह व अन्य घाटों पर विसर्जन के लिए मूर्तियां आने लगी थीं. इसके साथ ही घाटों पर मेले भी गुलजार होने लगे थे. बच्चों का उत्साह तो देखते ही बनता था. खिलौने से लेकर खाने-पीने की दुकानों पर वह चहल-कदमी करते नजर आये. उधर, सिंदूर खेला के साथ मां को विदायी देने आयीं, महिलाओं ने भी कई जरूरी सामान की खरीदारी की. मां काली की प्रतिमा का भी विसर्जनमानगो घाट पर मां भगवती के साथ-साथ मां काली की भी एक प्रतिमा का विसर्जन किया गया. हालांकि प्राय: दीपावली के बाद ही मां काली की प्रतिमा का विसर्जन होता है, लेकिन मानगो पायल सिनेमा के पास स्थित रामकृष्ण कालोनी के शंकर कालिंदी बताते हैं कि वे लोग सालभर मां काली की प्रतिमा घर पर रखते हैं और विजयादशमी के दिन ही मां का विसर्जन करते हैं. यह उनलोगों की परंपरा है. ——————युवाओं ने नदी में लगायी डुबकीनदी घाटों पर प्रतिमा विसर्जन के बाद बड़ी संख्या में युवाअों ने नदी में डुबकी लगायी. वे नदी में विसर्जित की गयी प्रतिमा को घाट से दूर बीच नदी में ले जा रहे थे, ताकि नयी प्रतिमा विसर्जन में दिक्कत न हो. पुल से घाट तक लग गया था मेलामानगो पुराने पुल से लेकर घाट तक मेला लग गया था. जगह-जगह चाट-पकौड़े, गोलगप्पा, डोसा समेत कई फूड स्टॉल लगे थे. हर स्टॉल पर समय गुजरने के साथ-साथ लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी. महिलाओं के शृंगार और बच्चों के खिलौने की दुकानें भी रास्ते भर में सज गयी थीं.
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विसर्जन मेले में आस्था और मस्ती
विसर्जन मेले में आस्था और मस्ती पूर्वाह्न 11 बजे से मानगो, भुइयांडीह व अन्य घाटों पर विसर्जन के लिए मूर्तियां आने लगी थीं. इसके साथ ही घाटों पर मेले भी गुलजार होने लगे थे. बच्चों का उत्साह तो देखते ही बनता था. खिलौने से लेकर खाने-पीने की दुकानों पर वह चहल-कदमी करते नजर आये. उधर, […]
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