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…तो क्या माइंस में 5.65 फीसदी तक बोनस मिला

जमशेदपुर. टाटा स्टील में बोनस के प्रतिशत को लेकर उठा बवाल अभी थमने का नाम नहीं ले रहा. यूनियन के सत्ताधारी लोग इसे लेकर अपनी दलीलें तो जरूर दे रहे हैं, लेकिन आंकड़ों के फेर से निकलते नहीं दिख रहे. एक बात तय है कि बोनस सर्कुलर के अनुसार कर्मचारियों को इस साल 8.53 फीसदी […]

जमशेदपुर. टाटा स्टील में बोनस के प्रतिशत को लेकर उठा बवाल अभी थमने का नाम नहीं ले रहा. यूनियन के सत्ताधारी लोग इसे लेकर अपनी दलीलें तो जरूर दे रहे हैं, लेकिन आंकड़ों के फेर से निकलते नहीं दिख रहे. एक बात तय है कि बोनस सर्कुलर के अनुसार कर्मचारियों को इस साल 8.53 फीसदी बोनस ही मिला है.

अभी तक टाटा स्टील बोनस समझौता में अलग-अलग समझौते का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए यूनियन का यह तर्क की जमशेदपुर में कर्मचारियों को 11.93 फीसदी बोनस मिला है, यह संभव नहीं दिखता.दूसरी ओर, समझौता के वक्त यूनियन की ओर से की गयी प्रेस कांफ्रेंस में बताया गया था कि कर्मचारियों के बीच 154.72 करोड़ रुपये एरियर के साथ बंटेगी. लेकिन बोनसेबल एमाउंट (कर्मचारियों के बेसिक व डीए पूरे साल भर में कितनी राशि होती है) कितना है, यह नहीं बताया गया था. इसका खुलासा सर्कुलर से हुआ. सर्कुलर में बोनसेबल एमाउंट 1813.66 करोड़ रुपये बताया गया.

बोनस की राशि 154.72 करोड़ रुपये को अगर 1813.66 करोड़ से भाग (डिवाइड) किया जाये तो यह राशि 8.53 फीसदी होती है. इस राशि में टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट से लेकर ट्यूब डिवीजन, ग्रोथ शॉप, मार्केटिंग व सेल्स डिवीजन, सीआरसी वेस्ट, सीआरइ ऑफिस रांची, सीआरइ ऑफिस भुवनेश्वर, सीआरइ ऑफिस दिल्ली, माइंस, कोलियरी डिवीजन, एफएएंड एम डिवीजन व हेड ऑफिस के कर्मचारियों को भी शामिल किया गया था.

अब टाटा वर्कर्स यूनियन यह दलील दे रही है कि जमशेदपुर प्लांट में ज्यादा राशि बांटी गयी है क्योंकि यहां के कर्मचारियों का बोनसेबल एमाउंट (बेसिक व डीए) ज्यादा है क्योंकि एरियर की राशि इसमें समाहित की जा रही है. इसके पीछे टाटा वर्कर्स यूनियन की यह दलील है कि जमशेदपुर के कर्मचारियों के बीच 154.72 करोड़ में से 99.18 करोड़ रुपये बांटे गये. इसके अलावा यहां के कर्मचारियों का बोनेसुबल एमाउंस (बेसिक डीए जोड़कर साल भर का) राशि 830.74 करोड़ रुपये होता है. अगर 99.18 करोड़ रुपये की बोनस राशि व 830.74 करोड़ रुपये के बोनेसुबल राशि को भाग (डिवाइड) किया जाये तो यह राशि 11.93 फीसदी आती है, लेकिन मामला इतना सीधा भी नहीं है. यदि इसके बाद बची राशि जो कि इसके बाद की सभी कंपनी, विभाग व माइंस में बतौर बोनस देनी है, उसे जोड़ा जाये तो यह महज 5.5 फीसदी के आसपास रह जाती है. अगर 154.72 करोड़ रुपये से 99.18 करोड़ रुपये को घटा दिया जाये तो यह राशि 55.54 करोड़ रुपये होती है, जो ट्यूब डिवीजन, ग्रोथ शॉप, मार्केटिंग व सेल्स डिवीजन, सीआरसी वेस्ट, सीआरइ ऑफिस रांची, सीआरइ ऑफिस भुवनेश्वर, सीआरइ ऑफिस दिल्ली, माइंस, कोलियरी डिवीजन, एफएएंड एम डिवीजन व हेड ऑफिस के कर्मचारियों के बीच बांटी गयी.

इन सारे कर्मचारियों का बोनसेबल एमाउंट अगर 1813.66 करोड़ में से 830.64 करोड़ रुपये को घटा दिया जाता है तो यह राशि 983.02 करोड़ रुपये होती है. अब अगर 55.54 करोड़ रुपये की बोनस राशि को 983.02 करोड़ रुपये से भाग (डिवाइड) किया जाता है तो यह राशि 5.65 फीसदी आती है. अब सवाल यह है कि क्या टिस्को ग्रोथ शॉप से लेकर माइंस, कोलियरी में कर्मचारियों को सरकारी बोनस एक्ट के प्रावधान 8.33 फीसदी से भी कम 5.65 फीसदी बोनस मिला है. लेकिन माइंस व कोलियरी की यूनियनें यह कह रही हैं कि उनको 8.65 फीसदी ही बोनस मिला है, जो उनके बैंक एकाउंट में आयी राशि से भी पता चलता है. इसके बारे में किसी तरह के स्पष्टीकरण के लिए यूनियन अधिकारी अधिकारिक तौर पर आगे नहीं आ रहे हैं.

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