जमशेदपुर: ओड़िशा में आये फैलिन और तेज बारिश के कारण 13 व 14 अक्तूब को जमशेदपुर का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. सुवर्णरेखा व खरकई नदी ने महानवमी और महादशमी के दिन अपना रौद्र रुप दिखाया. ओड़िशा के सभी फाटक पहले से ही खोल दिये गये थे, जिस कारण पानी सीधे जमशेदपुर की ओर रुख कर गया. जिसके कारण सात हजार से अधिक घरों में पानी प्रवेश कर गया.
सर्वाधिक नुकसान मानगो और बागबेड़ा के अलावा कदमा, सोनारी इलाके में हुआ, जहां कई रिहायशी इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया. कई फ्लैट, कॉम्प्लेक्स और बस्तियों में बाढ़ का पानी घुसा. हालात को संभालने के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने सेना को राहत कार्य के लिए उतारा.
एनडीआरएफ की टीम भी यहां पहुंच गयी . महादशमी के बाद दिन 15 अक्तूबर को नदी का जलस्तर तेजी से नीचे गया, जिसके बाद लोगों ने राहत ली. रुक-रुक कर हो रही रही बारिश के कारण लोगों को न तो घर में कोई स्थान मिल पाया और न ही बाहर, हर ओर उनके समक्ष मुश्किलें ही थी. करीब दो लाख की आबादी को लेकर जिला प्रशासन की रणनीति कामयाब नहीं रही क्योंकि जो भी प्रशासन द्वारा अस्थायी निवास या राहत कैंप बनाये गये थे, वह प्रभावित लोगों के घर से काफी दूर थे, जहां तक लोग जाने को तैयार नहीं थे. लोगों के सामान सड़कों पर थे, जिसको छोड़कर कोई जाना नहीं चाह रहा था.