जमशेदपुर: एमजीएम अस्पताल में नेत्र विभाग के लिए 2008 में ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप मशीन खरीदी गयी थी. जिससे आंखों का ऑपरेशन किया जाता है. उक्त मशीन से अपग्रेडेड मशीन का नेट के माध्यम से कीमत देखने पर पता चला कि उसका मूल्य तीन से पांच लाख के बीच है लेकिन एजेंसी द्वारा गलत निविदा कोड करते हुए 18 लाख 50 हजार यानी मशीन के मूल्य से लगभग चार गुणा से अधिक राशि पर अस्पताल को इसकी आपूर्ति की गयी.
इसका खुलासा एमजीएम अस्पताल के कर्मचारी अरविंद कुमार सिन्हा द्वारा एमजीएम अधीक्षक को सौंपे गये स्पष्टीकरण में हुआ है. अरविंद कुमार सिन्हा को अस्पताल के अधीक्षक डॉ आरवाई चौधरी के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत सूचना की जानकारी देने में लापरवाही एवं विलंब करने के संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की गयी थी. उन्होंने अपने जबाब में अधीक्षक को बताया कि पूर्व भंडार पाल युगल किशोर दास ने सिर्फ भंडार के पंजिका एवं भंडार में उपलब्ध दवाओं व समानों का प्रभार दिया. मुझे पूर्व के किसी कागजात का प्रभार नहीं सौंपा गया है.
वर्तमान में कागजात किस स्थिति में इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि संबंधित संचिका जिसमें उक्त मशीन के क्रय संबंधी विवरणी अर्थात बिल, तुलनात्मक विवरणी आदि उपलब्ध थी, जिसको सभी जगह खोजने के बाद जब फाइल नहीं मिली तो मैंने आपके आदेश पर आपके ड्रावर में खोजा तो संचिका की एक पार्ट की फाइल मिली. जिसके आधार पर वांछित सूचना अधिकार के आवेदन का अनुपालन किया गया. 2013 में जब आप अधीक्षक बने तो उस समय भंडार के शीशे वाले कमरे में मेरे टेबुल पर एवं ड्रावर में बहुत सारे महत्वपूर्ण कागजात थे. उस समय आपने अमर ज्योति सिंह को मुझसे बिना पूछे उस कमरे को दे दिया. जिससे टेबुल व ड्रावर में रखे कई कागजात गायब हो गये. इसकी जानकारी मैंने आपको दी थी. श्री सिन्हा ने सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना नहीं देने के आरोप से खुद को मुक्त करने की व उपरोक्त मशीन के खरीदारी की जांच कर संबंधित एजेंसी पर कानूनी कारवाई करने का निवेदन किया है.
क्या था मामला. एमजीएम अस्पताल के नेत्र विभाग के लिए 2008 में एक मशीन का क्रय किया गया था. जिसकी कीमत लगभग तीन लाख थी उसको 18 लाख 50 हजार में खरीदा गया था. इस संबंध में अस्पताल के ही डॉक्टर केके लाल ने सूचना अधिकार के तहत इस मशीन के बारे में जानकारी मांगी थी. जिनको समय पर इसकी जानकारी नहीं दी गयी. उसके बाद डॉक्टर केके लाल ने इसकी शिकायत राज्य सूचना आयोग से की थी. जिसमें अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर आरवाई चौधरी को नोटिस किया गया था. उसके बाद अधीक्षक ने इस संबंध में अमरेंद्र कुमार अमन, अरविंद कुमार सिन्हा, प्रदीप कुमार बेहरा, टी तिरुपति राव व अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एके सिंह से स्पष्टीकरण की मांग की है.