मैनेजमेंट का तर्क यह है कि प्रोडक्टिविटी कर्मचारियों की नहीं बढ़ रही है. जिस स्तर पर दूसरी कंपनियों की प्रोडक्टिविटी है, उसके बदले काफी कम प्रोडक्शन टाटा स्टील में हो रहा है और वेज कॉस्ट भी ज्यादा है. इस वेज कॉस्ट को कम करने के लिए आउटसोर्सिग का काम चल रहा है. वे सारे काम आउटसोर्स किये जायेंगे, जो सीधे तौर पर प्रोडक्शन से जुड़े हुए नहीं है. तकनीकी काम और जानकारों की जहां जरूरत है, वहां सिर्फ स्थायी कर्मचारियों को लगाने की योजना है. हालांकि इसको लेकर मैनेजमेंट व यूनियन कुछ भी कहने को तैयार नहीं है.
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आउटसोर्स होंगे टाटा स्टील के कई विभाग
जमशेदपुर: टाटा स्टील के कई विभागों को आउटसोर्स किया जायेगा. इसके लिए कंपनी प्रबंधन की ओर से निजी एजेंसी को बहाल कर दी गयी है, जो इसका अध्ययन करेगी कि किस विभाग में काम आउटसोर्स किया जा सकता है और कहां पर स्थायी कर्मचारियों की जरूरत नहीं है. इसके लिए एक एजेंसी की ओर से […]
जमशेदपुर: टाटा स्टील के कई विभागों को आउटसोर्स किया जायेगा. इसके लिए कंपनी प्रबंधन की ओर से निजी एजेंसी को बहाल कर दी गयी है, जो इसका अध्ययन करेगी कि किस विभाग में काम आउटसोर्स किया जा सकता है और कहां पर स्थायी कर्मचारियों की जरूरत नहीं है. इसके लिए एक एजेंसी की ओर से प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गयी है. बुधवार को टीम ने सिंटर प्लांट के आरएमबीबी 2 के क्षेत्र का दौरा किया और इसका आकलन किया कि कितने स्थानों पर आउटसोर्सिग करने से भी काम चल सकता है.
इसको लेकर कर्मचारियों और अधिकारियों से भी फीड बैक लिया गया. कर्मचारियों की संख्या को कम करने के लिए लाये गये इएसएस की योजना को धरातल पर उतारने के लिए भी यह कदम उठाया जा रहा है, जिसको लेकर कई विभागों में हड़कंप है.
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