इस संबंध में एमजीएम अस्पताल के आई डिपार्टमेंट (नेत्र विभाग) के विभागाध्यक्ष डॉ विजय नारायण ने बताया कि केंद्र से फंड मिलते ही इसका संचालन शुरू कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि एमजीएम में आइ बैंक खोलने की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही थी. आइ बैंक खुलने से लोगों को काफी लाभ होगा.
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एमजीएम अस्पताल में बनेगा कोल्हान का पहला नेत्र बैंक
जमशेदपुर: कोल्हान का पहला सरकारी नेत्र बैंक जल्द ही शहर में खुलेगा. एमजीएम अस्पताल प्रबंधन ने आइ बैंक के रजिस्ट्रेशन के लिए आइ बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुख्यालय (हैदराबाद) में आवेदन भेजा है. जल्द ही अस्पताल परिसर में नेत्र बैंक के लिए जगह उपलब्ध कराया जायेगा. इसके बाद यहां नेत्र बैंक के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर […]
जमशेदपुर: कोल्हान का पहला सरकारी नेत्र बैंक जल्द ही शहर में खुलेगा. एमजीएम अस्पताल प्रबंधन ने आइ बैंक के रजिस्ट्रेशन के लिए आइ बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुख्यालय (हैदराबाद) में आवेदन भेजा है. जल्द ही अस्पताल परिसर में नेत्र बैंक के लिए जगह उपलब्ध कराया जायेगा. इसके बाद यहां नेत्र बैंक के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जायेगा.
क्या है नेत्र बैंक
आइ बैंक मूलत: पेशेवर ढंग से नेत्र लेने और इसके संरक्षण की सेवा उपलब्ध कराता है. बैंक आंखों की कॉर्निया सुरक्षित रखने के साथ जरूरतमंद को उपलब्ध कराता है. एमजीएम अस्पताल के डॉ जमाल को इसकी ट्रेनिंग दी गयी है. उन्होंने ने बताया कि हर व्यक्ति को दूसरे की कॉर्निया नहीं लगायी जा सकती है. पहले इसकी जांच की जाती है.
कॉर्निया के स्रोत : किसी भी व्यक्ति की मौत के छह घंटे के भीतर उसकी आंख से कॉर्निया निकाली जा सकती है. इसके बाद बैंक में इसे सुरक्षित रखा जा सकता है.
दृष्टिहीनता का कारण
आंखों में मौजूद कॉनिया खराब होने पर लोगों को दिखाई देना बंद हो जाता है. कॉर्निया दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो सकता है. तेज वस्तुओं (जैसे तीर, कलम, पेंसिल, आदि) के साथ खेलते समय कॉर्निया को नुकसान हो सकता है. औद्योगिक कारणों में जैसे रासायनिक पदार्थ व कचरा भी नुकसान पहुंचाता है. संक्र मण और कुपोषण से भी कॉर्निया प्रभावित होती है.
कॉर्नियल से दूर हो सकती है दृष्टिहीनता
क्षतिग्रस्त कॉर्निया के स्थान पर स्वस्थ कॉर्निया लगा कर दृष्टिहीनता का इलाज संभव है. फिलहाल नेत्रहीन लोगों का उपचार ग्राफ्टिंग कॉर्निया से होता है.
14 दिनों तक रखी जा सकती है कॉर्निया
नेत्र बैंक में एक स्वस्थ कॉर्निया 14 दिनों तक सुरक्षित रखी जा सकती है. हालांकि झारखंड में नेत्रदान की संख्या इतनी कम है और मांग इतनी अधिक है कि इतने दिनों तक रखने की जरूरत नहीं पड़ती है.
साकची में चार दिनों तक रखने की व्यवस्था : शहर में फिलहाल साकची स्थित जमशेदपुर आइ अस्पताल में चार दिनों तक आंख रखने की व्यवस्था (आइ स्टोरेज) है. इसके बाद इसे कोलकाता स्थित बैंक में भेज दिया जाता है.
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