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बिना एनओसी चल रहे अस्पताल बंद करें

जमशेदपुर: हाइकोर्ट ने बिना एनओसी (प्राधिकार पत्र) के संचालित अस्पतालों व नर्सिग होम को 24 घंटे के अंदर बंद करने का निर्देश दिया है. साथ ही झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया. झारखंड ह्यूमन राइट्स कांफ्रेंस की ओर से इस मामले में जनहित याचिका दायर की […]

जमशेदपुर: हाइकोर्ट ने बिना एनओसी (प्राधिकार पत्र) के संचालित अस्पतालों व नर्सिग होम को 24 घंटे के अंदर बंद करने का निर्देश दिया है. साथ ही झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया. झारखंड ह्यूमन राइट्स कांफ्रेंस की ओर से इस मामले में जनहित याचिका दायर की गयी है.
झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को रांची, जमशेदपुर, बोकारो व धनबाद के अस्पतालों व पैथो लैब से निकलनेवाले बायो मेडिकल वेस्ट के उचित निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अधिकारियों की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जतायी. साथ ही प्रदूषण बोर्ड को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
खंडपीठ ने फटकार लगाते हुए कहा कि रांची सहित राज्य में संचालित हो रहे अस्पताल, नर्सिग होम व अन्य मेडिकल संस्थानों की सूची कोर्ट में प्रस्तुत करें. इनमें कितने रजिस्टर्ड हैं, किसने एनओसी लिया है. बिना एनओसी लिये संचालित हो रहे संस्थानों को 24 घंटे के अंदर (तुरंत) बंद कर दिया जाये.
इस कार्य में यदि प्रशासन सहयोग नहीं करता है, तो उसे कोर्ट को बतायें. कोर्ट आदेश देगा. जिन संस्थानों ने अब तक एनओसी नहीं लिया है उन्हें अब एनओसी नहीं दें. बायो मेडिकल वेस्ट खतरनाक है, उसे जहां-तहां नहीं फेंका जा सकता है. बोर्ड का काम प्रदूषण फैलानेवालों के खिलाफ कार्रवाई करना है, न कि प्रदूषण को बढ़ावा देना. बोर्ड के अधिकारियों ने चश्मा उतार कर गोगल्स पहन लिया है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए सात जुलाई की तिथि निर्धारित की.

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