जमशेदपुर: इस वर्ष शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा (आगामी शनिवार, 5 अक्तूबर) को कलश स्थापना के साथ आरंभ होकर सोमवार, 14 अक्तूबर को संपन्न होगा. शनिवार (5 अक्तूबर) को प्रात: 6:14 बजे तक अमावस्या है, जिसके पश्चात आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि आरंभ हो रही है, जो अगले दिन प्रात: 5:38 बजे तक रहेगी. इस तरह प्रतिपदा में सूर्योदय का समय हमें 5 सितंबर को ही प्राप्त हो रहा है, अत: हमें नि:संकोच भाव से इसी दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापन कर नवरात्रा का प्रारंभ करना चाहिए.
किस दिन होता है माता का आगमन:वैसे तो माता का आगमन कलश स्थापना एवं माता शैलपुत्री के आवाहन के साथ ही हो जाता है, किन्तु कुछ क्षेत्रों में माता का आगमन विल्व अभिमंत्रण (षष्ठी तिथि) से माना जाता है. किन्तु हमें कोई संकोच न रखते हुए नवरात्र के प्रथम दिन (आश्विन शुक्ल प्रतिपदा) से ही मां का आगमन मानना चाहिए. यह तो क्षेत्र विशेष में विल्व अभिमंत्रण से माता का आवाहन करने की परंपरा है, किन्तु माता का आगमन तो प्रतिपदा को कलश स्थापना, श्वस्ति वाचन तथा माता शैलपुत्री के आवाहन के साथ ही हो जाता है. अत: विवाद में न पड़ते हुए मां का आगमन कलश स्थापना से ही मानना चाहिए.
किस वाहन से आयेंगी मां: परंपरागत मान्यता के अनुसार इस वर्ष माता का आगमन अश्व पर हो रहा है जो राज-पाट एवं सरकारी तंत्र के लिए घात कारी होगा, किन्तु बांग्ला पंचांग के अनुसार मां का आगमन डोली पर हो रहा है, जो जन साधारण के लिए कष्ट दायक रहेगा. दूसरी तरफ मां की विदाई परंपरागत धारणा के अनुसार महिष पर हो रहा है, जो जनसाधारण के लिए रोग, शोक एवं कष्टकारी होगा, लेकिन बांग्ला पंचांग के अनुसार मां का गमन गज पर होगा, जिसका प्रभाव हर्ष दायक एवं वर्षा कारी होगा.
मां कल्याण ही करेंगी
आम भक्तों को उपयरुक्त बातों एवं विवाद में न पड़ते हुए माता का तन, मन, धन से श्रद्धा पूर्वक पूजन-अराधन करते हुए उनसे स्व एवं जग के कल्याण के लिए प्रार्थना करनी चाहिए. मां तो सबकी मां हैं, इसलिए वे सबका कल्याण ही करेंगी.