डॉ सुमन कुमारीस्त्री रोग विशेषज्ञसरवाइकल कैंसर विकासशील देशों के लिए सामान्य होता जा रहा है. यह बीमारी 21 से 70 साल की उम्र की महिलाओं में ज्यादा होती है. जल्द शादी करने के कारण, एक से अधिक व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने के कारण, अर्ली इंटरकोर्स करने आदि के कारण होती है. इसलिए यौन संबंध के मामले में सावधानी बरतनी चाहिये. इसकी शुरुआत में कोई खास इंडिकेशन नहीं होता, लेकिन बीमारी के आगे बढ़ने पर महिलाओं को ह्वाइट डिस्चार्ज, इररेगुलर ब्लीडिंग व दर्द का एहसास होता है. इसलिए, जरूरी है कि इस बीमारी की शुरुआती अवस्था में डॉक्टरी सलाह ली जाये. बीमारी से बचाव के लिए 21-29 साल तक की महिलाओं को 3 साल में एक बार पेप्स मेयर टेस्ट जरूर करवाना चाहिये. 30 साल से ऊपर की महिलाओं को 5 साल में एक बार पेप्स मेयर व एचपीवी टेस्ट करवाना चाहिए, ताकि इस बीमारी की समय रहते पहचान हो सके. बचाव के लिए एचपीवी वैक्सिन कारगर है. 9 से 26 साल तक की लड़कियों को यह वैक्सिन दिया जा सकता है. इससे बचाव के लिए महिलाएं हाइजीन मेंटेन रखें, असुरक्षित यौन संबंध न बनायें. बीमारी : सरवाइकल कैंसर. लक्षण : ह्वाइट डिस्चार्ज व इररेगुलर ब्लीडिंग. बचाव : प्राइवेट पार्ट की सफाई का ध्यान रखें, असुरक्षित यौन संबंध न बनायें तथा वैक्सीनेशन लें.
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सरवाइकल कैंसर में वैक्सीनेशन है कारगर
डॉ सुमन कुमारीस्त्री रोग विशेषज्ञसरवाइकल कैंसर विकासशील देशों के लिए सामान्य होता जा रहा है. यह बीमारी 21 से 70 साल की उम्र की महिलाओं में ज्यादा होती है. जल्द शादी करने के कारण, एक से अधिक व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने के कारण, अर्ली इंटरकोर्स करने आदि के कारण होती है. इसलिए यौन […]
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