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ओडि़या समुदाय ने परंपरागत रूप से मनाया रज पर्व

समाज के लोगों ने पीठा-पकवान का लिया आनंदकुमारियों ने नये वस्त्र पहन लिया झूले का आनंदलाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर सूर्य की मिथुन संक्रांति के अवसर पर सोमवार को नगर के ओडि़या भाषियों ने परंपरागत आस्था के साथ रज पर्व मनाया. इस त्योहार में वैसे तो समाज के सभी लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया, किन्तु समाज […]

समाज के लोगों ने पीठा-पकवान का लिया आनंदकुमारियों ने नये वस्त्र पहन लिया झूले का आनंदलाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर सूर्य की मिथुन संक्रांति के अवसर पर सोमवार को नगर के ओडि़या भाषियों ने परंपरागत आस्था के साथ रज पर्व मनाया. इस त्योहार में वैसे तो समाज के सभी लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया, किन्तु समाज की कुमारियों ने इस पर्व का विशेष आनंद लिया. ज्ञात हो कि परंपरागत रूप से रज पर्व धरती माता के रजस्वला होने के रूप में मनाया जाता है जिसके दौरान ओडि़शा में किसान चार दिनों तक खेती से संबंधित सारे कामकाज बंद रखते हैं, जबकि कुमारियां धरती माता को कष्ट न हो, इसके लिए खाली पैर जमीन पर नहीं चलतीं. इस दिन वे नये वस्त्र पहन कर झूला झूलती हैं तथा एक दूसरे के घर जाकर उन्हें पर्व की शुभकामना देने के साथ ही साथ-साथ झूले का आनंद लेती हैं. इस त्योहार के दिन ओडि़या परिवारों में खाना नहीं बनता, बल्कि इसके लिए एक दिन पूर्व ही पीठा-पकवान तैयार कर लिये जाते हैं एवं त्योहार के दिन उसी का सेवन किया जाता है, किसी घर में चूल्हा नहीं जलता. युवक भी यह दिन खेलकूद में बिताते हैं. शहर के विभिन्न भागों में बसे ओडि़याभाषी समुदाय के लोगों ने परंपरागत तरीके से व्रत मनाया.गोलमुरी उत्कल समाजगोलमुरी स्थित उत्कल समाज में इस अवसर पर संस्था के पदाधिकारियों की एक बैठक आयोजित हुई, जिसमें रज पर्व की परंपरा एवं उसके महत्व पर विचार-विमर्श किया गया. संस्था के महासचिव रवींद्र कुमार मिश्रा, उपाध्यक्ष बीबी दास, भरत पाटसानी, सुधांशु छोटराय, स्वाधीन छोटराय, प्रवीण दास, सुशील कुमार बिस्वाल आदि ने शिरकत की.

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