डॉ शारीक रहमान, फिजियोथेरेपिस्टस्लिप डिस्क होने के कारण कमर में दर्द व गर्दन में दर्द जैसी बीमारी हो सकती है. स्पाइन कॉर्ड की हड्डियों के बीच जैली जैसा नरम पदार्थ होता है. इसे डिस्क कहा जाता है. ये आपस में एक दूसरे से जुड़ी होती हैं. डिस्क रीढ़ की हड्डी के लिए शॉक एब्जॉर्बर का काम करता है. गलत तरीके से काम करने, उठने, बैठने या झुकने पर डिस्क पर असर पड़ता है व लिगामेंट टूट जाने के कारण जैली बाहर आ जाता है. जिसके कारण कमर में लगातार दर्द होता है. इस बीमारी में पैर के बाहरी साइड में झिनझिनाहट होती है, दर्द, टाइटनेस, पीठ के पीछे दर्द, झुकने में दर्द जैसे लक्षण दिखायी देते हैं. इस बीमारी से बचने के लिए झुक कर या झटके के साथ भारी वस्तुओं को ना उठाएं, ड्राइविंग से परहेज करें, झुक कर काम ना करें. शुरुआती स्टेज में या फिर ग्रेड तीन तक के स्लिप डिस्क के केसेज में फिजियोथेरेपी के द्वारा रिकवर किया जा सकता है. नहीं तो, ऑपरेशन के द्वारा इलाज संभव है. बीमारी : स्लीप डिस्क के कारण कमर में दर्दलक्षण : पैर के बाहरी साइड में झिनझिनाहट, दर्द, टाइटनेस, पीठ के पीछे दर्द, झुकने में दर्द बचाव : झुक कर या झटके के साथ भारी वस्तुओं को ना उठाएं, झटके के साथ ना उठे, ड्राइविंग से परहेज करें व झुक कर काम ना करें.
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स्लिप डिस्क ग्रेड 3 तक फिजियोथेरेपी द्वारा रिकवरी संभव
डॉ शारीक रहमान, फिजियोथेरेपिस्टस्लिप डिस्क होने के कारण कमर में दर्द व गर्दन में दर्द जैसी बीमारी हो सकती है. स्पाइन कॉर्ड की हड्डियों के बीच जैली जैसा नरम पदार्थ होता है. इसे डिस्क कहा जाता है. ये आपस में एक दूसरे से जुड़ी होती हैं. डिस्क रीढ़ की हड्डी के लिए शॉक एब्जॉर्बर का […]
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