जमशेदपुर: रजनी, उस शिशु हाथी (मादा) का नाम है, जो दलमा के जंगलों में अपने समूह से बिछुड़ गयी थी. इलाज करने के बाद उसे वापस जंगल में भेजा गया. अपने समूह ने तो उसको स्वीकार नहीं किया, लेकिन उसको मां की ममता की ऐसी छांव मिली कि वह खुद को काफी सुरक्षित महसूस कर रही है. यह कहानी है दलमा जंगल की तीन मादा हाथियों के बीच पल रही रजनी की.
विभिन्न सर्कसों से पकड़कर वन विभाग ने तीन मादा हाथियों को दलमा के जंगल में रखा है. इनकी सेवा-सत्कार व ट्रेनिंग महावत ही करते हैं और जंगलों में घूमाते रहते हैं. इसमें से एक हाथी का नाम चंपाकली, दूसरे का सौरमती और तीसरे का बासमती है. हाथियों की प्रवृत्ति होती है कि अगर कोई उसके झुंड में बाहर से आया तो उसे झुंड में शामिल नहीं करते और अगर कोई झुंड से अलग (बिछुड़ कर भी) हुआ तो भी वापस नहीं लेते. पिछले दिनों एक शिशु हाथी (मादा) जंगल में अपने झुंड से बिछुड़ कर एक गड्ढे में गिर गयी थी. टाटा स्टील जूलोजिकल पार्क में उसको लाया गया. इलाज के बाद जब वह स्वस्थ हो गयी तो उसको वापस जंगल ले जाया गया.
समूह में जब उसे शामिल नहीं किया गया तो उसको उक्त तीन मादा हाथियों के साथ रख दिया गया. ये तीनों मादा हाथियों ने उस शिशु हाथी (जिसका नाम रजनी रखा गया है) को अपनाया और उसका लालन-पालन किया. रिश्ते की मजबूती का आलम यह है कि जब तक रजनी खा नहीं लेती तब तक तीनों खाना नहीं खाती और कभी भी उसको छोड़कर अलग नहीं रहती हैं. इन चारों ने अपना समूह बना लिया है. चारों जंगल में महावत के साथ ही घूमती हैं.