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नबी की अल्लाह से मुलाकात इनसानी समझ से परे (हैरी -14,15)

उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर धातकीडीह स्थित मक्का मसजिद में शनिवार को जश्न- ए- मेराज- ए- मुस्तफा जलसा का आयोजन किया गया. जलसा में मौलाना मंजर मोहसिन ने तकरीर पेश की. उन्होंने कहा कि हुजूर को जो मेराज हुई थी, उसमें नमाज का हुक्म हुआ था. जिसको लेकर इसलाम आगे बढ़ा. उन्होंने कहा कि नमाज से जुड़नेवालों […]

उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर धातकीडीह स्थित मक्का मसजिद में शनिवार को जश्न- ए- मेराज- ए- मुस्तफा जलसा का आयोजन किया गया. जलसा में मौलाना मंजर मोहसिन ने तकरीर पेश की. उन्होंने कहा कि हुजूर को जो मेराज हुई थी, उसमें नमाज का हुक्म हुआ था. जिसको लेकर इसलाम आगे बढ़ा. उन्होंने कहा कि नमाज से जुड़नेवालों को जन्नत का नजारा मिलेगा. अपनी तकरीर को आगे बढ़ाते हुए मौलाना मंजर मोहसिन ने कहा कि आखिरी नवी (रअ.) रज्जब की 27 तारीख को मक्का से बैतुल मकदिस की ओर रवाना हुए. यहां से सातवें आसमान से भी ऊपर वे लमाका गये. वहां अल्लाह की बारगाह में पहुंच कर अल्लाह से उनकी बातचीतशुरू हुई. बात करने के बाद जब लौटने लगे तो उन्हें अल्लाह तबारक ताला ने उपहार में पांच वक्त की नमाज सौंपी. जिसे अपने उम्मतियों की बीच उन्होंने बांटी. इस दौरान एक खास बात यह रही कि नबी (रअ.) के अल्लाह की बारगाह में जाना और फिर लौट कर आने का जो समय रहा वह इनसान की कल्पना से भी परे था. कुरान और हदीस में इस वाकया को काफी विस्तार से वर्णित किया गया है. उसके अनुसार जब वे घर लौटे तो दरवाजे की कुंडी-सिकड़ी हिल रही थी, वजू का पानी अभी सूखा नहीं था, बिस्तर पर गरमी थी. यह अल्लाह के रसूल का सबसे बड़ा मौजेजा है. ऐसा चमत्कार जो किसी की अक्ल में आ नहीं सकता है. इस अवसर पर मेराजुल हक ने नात पढ़ी. जलसा में कमेटी के मौलाना गुलाम हैदर, एनुद्दीन खान, हाजी हासिम कादरी, हाफिज असरार अहमद, हाफिज फहीम अख्तर, मौलाना के अलावा काफी लोग मौजूद थे.

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