करीम सिटी कॉलेज भूगोल विभाग के डॉ आले अली व डॉ मोहम्मद रेयाज ने बताया कि भूकंप का उद्गम धरातल से करीब 15-17 किलोमीटर अंदर रहा होगा. चूंकि यह रेक्टर पैमान पर 7.3 मापा गया, अत : आठवीं श्रेणी का भूकंप था, जिसका प्रभाव 250 से 300 किलोमीटर के दायरे में होता है. दूरी बढ़ने के साथ भूकंप का झटका धीमा पड़ता जाता है. यही वजह रही कि नेपाल से सटे बिहार में इसका ज्यादा असर रहा, लेकिन शहर समेत आसपास के इलाके में हल्का झटका महसूस किया गया.
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फिर कांपी धरती, सहमे शहरवासी
जमशेदपुर: नेपाल में मंगलवार को फिर आये भूकंप के झटके का असर शहर में भी महसूस किया गया. करीब 15 दिन के अंदर प्रकृति के इस क्रूर खेल से सारा शहर सहम गया है. शहर के विभिन्न हिस्सों से मिली सूचना के अनुसार भूकंप के झटके महसूस किये गये. हालांकि कहीं से किसी प्रकार की […]
जमशेदपुर: नेपाल में मंगलवार को फिर आये भूकंप के झटके का असर शहर में भी महसूस किया गया. करीब 15 दिन के अंदर प्रकृति के इस क्रूर खेल से सारा शहर सहम गया है. शहर के विभिन्न हिस्सों से मिली सूचना के अनुसार भूकंप के झटके महसूस किये गये. हालांकि कहीं से किसी प्रकार की क्षति की सूचना नहीं है. वास्तव में भूकंप का केंद्र नेपाल का पोखरा जोन रहा. वहां भूकंप की तीव्रता रेक्टर स्केल पर 7.3 मापी गयी.
बाजा पाटन में वीर बहादुर का घर क्षतिग्रस्त
शहर में ऐसे कई परिवार हैं, जिनका संबंध नेपाल से है. उनके परिजन व सगे-संबंधी नेपाल के भूकंप प्रभावित इलाके में हैं. ऐसे ही लोगों में से एक हैं, नेपाल के पोखरा स्थित बाजा पाटन निवासी वीर बहादुर विश्वकर्मा. वीर बहादुर के चचेरे भाई गणोश यहां बागबेड़ा स्थित रेलवे कॉलोनी में रहते हैं. भूकंप की सूचना मिलते ही उन्होंने वीर बहादुर को फोन करके कुशल क्षेम जानना चाहा. पता चला कि वीर बहादुर व परिजन जान बचाने के लिए घर से बाहर निकल गये हैं. करीब 60 लाख रुपये की लागत से निर्मित घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है. लोग खौफजदा हैं. 25 अप्रैल की ही तरह धरती के बाद कहीं आसमान भी नाराज न हो जाये. भूकंप के बाद बारिश न शुरू हो जाये.
क्यों आता है भूकंप
भूगोल विभाग के डॉ आले अली ने बताया कि 1960 के दशक के बाद प्लेट टेक्टॉनिक थ्योरी का प्रतिपादन हुआ. इस थ्योरी (सिद्धांत) के अध्ययन से पता चलता है कि पृथ्वी का ऊपरी भाग जो ठोस है, वह कई छोटे-छोटे भू-भागों में टूटा हुआ है. इसे प्लेट कहा जाता है. इसकी वजह से धरातल के अंदर से संवाहनीय तरंगें उठती हैं. तब इन प्लेटों में गति तेज होती है. पृथ्वी का ऊपरी भाग छह बड़े और कई छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटा है. इसी में से एक हिंद आस्ट्रेलियाई प्लेट है, जो हिमालय पर्वत के अंदर यूरेशियाई प्लेट में समाता जा रहा है. इन दिनों आ रहे भूकंप का यही कारण है. वैज्ञानिकों ने प्लटों की गति के कारण उत्पन्न तरंगों के आधार पर आये भूकंप को कई जोन में बांटा है. इसे मानचित्र के द्वारा समझा जा सकता है.
शहर में फिर आ सकता है भूकंप
शहर में भूकंप फिर आ सकता है. ऐसी आशंका मौसम विभाग ने जतायी है. लोगों को सर्तक रहने की जरू रत है. मंगलवार को शहर में दो बार भूकंप के हल्के झटके महसूस किये गये. मौसम विज्ञान केंद्र रांची के अनुसार मंगलवार को झारखंड में आये भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर लगभग 2. 5 थी.
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