वर्तमान में मां (सुलेखा राय) और बेटी (शिखा पटेल) एक-एक किड्नी के सहारे खुशी के साथ जीवन जी रही हैं. दोनों एक- दूसरे को हंसते देख अपने आपको खुशनसीब मानती हैं. आज शिखा एएसपीएसएम (मार्केटिंग) का कोर्स पूरा करने के बाद बैंक पीओ की परीक्षा की तैयारी में लगी हुई है. वहीं मां साकची महिला कोषांग में सिपाही के पद पर नौकरी कर रही हैं.
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महिला सिपाही ने बेटी को दी अपनी किडनी
जमशेदपुर: ममता की मंदिर की है तू सबसे प्यारी मूरत, भगवान नजर आता है,जब देखे तेरी सूरत. जब-जब दुनिया में आयूं तेरा आंचल पायूं. यह गीत कोई और नहीं, बल्कि वह बेटी गुनगुना रही थी, जिसकी मां ने किड्नी देकर उसकी जान बचायी है. इतना ही नहीं, इलाज के लिए लाखों रुपये कर्ज भी लिया. […]
जमशेदपुर: ममता की मंदिर की है तू सबसे प्यारी मूरत, भगवान नजर आता है,जब देखे तेरी सूरत. जब-जब दुनिया में आयूं तेरा आंचल पायूं. यह गीत कोई और नहीं, बल्कि वह बेटी गुनगुना रही थी, जिसकी मां ने किड्नी देकर उसकी जान बचायी है. इतना ही नहीं, इलाज के लिए लाखों रुपये कर्ज भी लिया. गांव की जमीन भी बेच डाली.
पिता की मौत के बाद मां ने संभाली जिम्मेवारी
शिखा ने बताया कि उनके पिता अशोक कुमार राय सिपाही थे. 2006 में हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गयी. इसके बाद तो परिवार संकट में आ गया. तीन साल भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. 2009 में मां को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली. इसके बाद स्थिति थोड़ी सुधरी. मां ने पांचों बेटियों को बहुत ही परिश्रम से पढ़ाया.
90 दिन में लिया एनओसी
इधर सुलेखा राय ने बताया कि उन्होंने किडनी देने के पूर्व स्वास्थ्य विभाग से एनओसी के लिए आवेदन दिया. एनओसी लेने में 90 दिन लग गये. 10 अक्तूबर 2014 को उन्होंने एक किडनी शिखा के नाम कर दिया. आज दोनों स्वस्थ हैं.
बेटी की दोनों किडनी हो गयी थी खराब
शिखा के मुताबिक 2014 में मेरी तबीयत खराब हो गयी. उलटी होने लगी. कई डॉक्टरों को दिखाया. मगर कोई फायदा नहीं हुआ. अंत में मां ने ब्रह्मानंद के डॉक्टर वाहिद खान से संपर्क किया. फिर उसे ब्रह्मानंद अस्पताल में भर्ती करा दिया गया. पांच माह तक उसे डायलिसिस पर रखा गया. फिर मां को बताया गया कि उसकी दोनों किडनी खराब है. अविलंब ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी गयी. फिर उसे कोलकाता के रवींद्र नाथ टैगोर अस्पताल रेफर कर दिया गया. वहां सुलेखा ने अपनी किड्नी बेटी को देने की सोची. उन्होंने डॉक्टर से किडनी देने के संबंध में बात की.
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