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होमियोपैथी से थैलेसीमिया का इलाज संभव
जमशेदपुर : थैलेसीमिया एक वंशानुगत बीमारी है जो माता- पिता के जरिये शिशुओं में आ जाती है. इससे पीड़ित शिशु के रक्त में लौह का अंश बढ़ जाता है. लौह का अंश धीरे-धीरे शरीर के दूसरे अंगों के अलावा हृदय में जमा होने लगता है जिस कारण शिशु की मौत तक हो जाती है. जागरुकता […]
जमशेदपुर : थैलेसीमिया एक वंशानुगत बीमारी है जो माता- पिता के जरिये शिशुओं में आ जाती है. इससे पीड़ित शिशु के रक्त में लौह का अंश बढ़ जाता है. लौह का अंश धीरे-धीरे शरीर के दूसरे अंगों के अलावा हृदय में जमा होने लगता है जिस कारण शिशु की मौत तक हो जाती है. जागरुकता से ही इस रोग से बचा जा सकता है.
उक्त बातें डॉ टीके चटर्जी ने कही. वे शुक्रवार को एसपी फाउंडेशन द्वारा विश्व थैलेसीमिया दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. बिष्टुपुर स्थित एक होटल में समारोह आयोजित था. उन्होंने कहा कि होमियोपैथिक के जरिये थैलेसीमिया का इलाज संभव है. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि गोविंद माधव शरण ने डॉ एसपी चटर्जी की तसवीर पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया.
स्वागत भाषण डॉ अवतार सिंह ने दिया. मुख्य वक्ता के रूप में डॉ टीके चटर्जी ने थैलेसीमिया को लेकर पारिवारिक काउंसिलिंग पर जोड़ दिया. इस मौके पर जादूगर सुबीर मजूमदार ने जादू दिखा कर मनोरंजन किया. कार्यक्रम में डॉ पीपी बनर्जी, डॉ एसएम पात्रो, डॉ एनके सिन्हा, डॉ ए चरण, डॉ सुबीर चटर्जी, राजकुमार प्रसाद, डॉ प्रभाकर प्रसाद, आदि उपस्थित थे. संचालन रिमिल विश्वास और धन्यवाद ज्ञापन डॉ पीपी बनर्जी ने किया.
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