जमशेदपुर: शहर के निजी स्कूलों में बीपीएल बच्चों के लिए आरक्षित सीटें खाली हैं, लेकिन बीपीएल बच्चे स्कूल से बाहर हैं, पर अब ऐसा नहीं होगा. राज्य सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने इसके लिए राज्य के सभी जिलों के उपायुक्त को एक पत्र भेजा है.
पत्र में साफ तौर पर लिखा गया है कि जिले के सभी निजी स्कूलों के इंट्री प्वाइंट वाले क्लास में हर हाल में बीपीएल की आरक्षित 25 फीसदी सीटों पर बीपीएल बच्चों का एडमिशन सुनिश्चित करें. सचिव की ओर से इसके लिए 30 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया गया है.
समय सीमा में शहर के साथ ही राज्यभर के निजी स्कूलों में बीपीएल बच्चों के लिए खाली पड़ी 25 फीसदी सीटों पर 100 फीसदी दाखिला लेने का आदेश दिया गया है. इसके लिए स्कूल को अपने पोषक क्षेत्र पर जहां ध्यान देने को कहा गया है, वहीं अगर पोषक क्षेत्र से बाहर का भी कोई बीपीएल उम्मीदवार एडमिशन के लिए आता है तो उन्हें भी दाखिला दिया जाये. हालांकि, जमशेदपुर के निजी स्कूलों में अब तक कुल 1342 बीपीएल बच्चों का दाखिला लिया जा चुका है, लेकिन सरकार की ओर से अब तक इनके लिए रिन्र्वसमेंट की व्यवस्था नहीं की गयी है.
पढ़ाई पीछे न हो, इसके लिए लिया गया फैसला
शहर के निजी स्कूलों में नये सत्र की शुरुआत हो गयी है. अधिकांश निजी स्कूलों में करीब 20 दिन पढ़ाई भी हो गयी है. नियम के अनुसार अगर बीपीएल उम्मीदवार सत्र शुरू होने से छह महीने तक कभी भी एडमिशन लेने के लिए आते हैं तो उनका हर हाल में एडमिशन लेना है, लेकिन देर से आने की वजह से पढ़ाई काफी आगे निकल चुकी होती है. इस तरह की स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए मानव संसाधन विकास विभाग की ओर से साफ कर दिया गया है कि 30 अप्रैल तक सभी खाली सीटों को भर लें, ताकि दाखिला लेने वाले बच्चे को भी कोर्स पूरा करने में कोई कठिनाई न हो.
अब नहीं चलेगी ‘बच्चे नहीं मिलते हैं’ की दलील
शिक्षा विभाग की ओर से जब-जब गरीब और अभिवंचित वर्ग के बच्चों का दाखिला लेने को कहा जाता है तो हर बार निजी स्कूलों की ओर से दलील दी जाती है कि स्कूल प्रबंधन की ओर से इसके लिए पहल की गयी, लेकिन बीपीएल बच्चे एडमिशन लेने के लिए नहीं आते हैं. स्कूलों की ओर से विभाग के साथ ही मीडिया को भी यही जानकारी दी जाती है कि कई बार कैंपेन चलाने के बाद भी बीपीएल बच्चे नहीं मिले. लेकिन अब इस तरह की दलील नहीं चलेगी. शिक्षकों को डोर टू डोर जाकर बच्चे को स्कूल में दाखिला करवाना होगा.
पोषक क्षेत्र का पेंच
नियम के अनुसार जिस क्षेत्र में स्कूल है उसके एक किलोमीटर के दायरे में रहने वाले गरीब और अभिवंचित वर्ग के बच्चों का दाखिला लेना तय किया गया है. लेकिन शहर के कई ऐसे स्कूल हैं जो रिहायशी इलाके में हैं, और इस इलाके में एक किलोमीटर के दायरे में किसी बीपीएल उम्मीदवार को खोजना टेढ़ी खीर साबित होगा. इसके साथ ही साकची ऐसा क्षेत्र है, जहां कुल सात स्कूल एक साथ हैं. इस तरह के स्कूलों के पोषक क्षेत्र को तय करने में विभाग को मशक्कत करनी पड़ेगी. हालांकि, विभाग की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर पोषक क्षेत्र से बाहर के भी विद्यार्थी आते हैं, तो स्कूल उनका एडमिशन ले.
निजी स्कूल आज सौपेंगे उपायुक्त को जवाब
जिला प्रशासन और उपायुक्त की हुई बैठक में उपायुक्त ने निजी स्कूल प्रबंधन को सोमवार तक का समय दिया था. उपायुक्त ने कहा था कि निजी स्कूलों को अगर आरटीइ से या फिर स्कूल संचालन को लेकर अन्य बिंदुओं पर कुछ बातें रखनी हैं तो वे लिखित रूप से दें. उनकी बातों को स्थानीय स्तर पर दूर करने का प्रयास किया जायेगा. अगर कुछ चीजें नीतिगत होंगी तो उसे राज्य सरकार के पास भेज दिया जायेगा. निजी स्कूलों की ओर से उपायुक्त को दिया जाने वाला लिखित जवाब तैयार कर लिया है. आज इसे उपायुक्त को सौंप दिया जायेगा.
बीजेपी नेता ने सीएम को सौंपा ज्ञापन
बीजेपी नेता धनरुधर त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा और निजी स्कूलों के खिलाफ अध्यादेश लाकर सीधे तौर पर निजी स्कूलों पर नकेल कसने की मांग की. उन्होंने कहा कि निजी स्कूल जब चाहें फीस बढ़ोतरी कर देते हैं. वे फीस बढ़ोतरी क्यों करते हैं? इसका लाभ बच्चों या फिर शिक्षकों को कितना दिया जाता है. इसका न ही वे कोई ब्योरा देते हैं और न ही सरकार के स्तर पर सीधे तौर पर इसकी मॉनिटरिंग होती है.