जमशेदपुर: झारखंड उच्च न्यायालय ने कहा है कि जमशेदपुर की 86 बस्ती को बिजली-पानी से वंचित नहीं किया जा सकता. झारखंड ताइकांडो एकेडमी एंड सोशल एक्शन के अध्यक्ष रविशंकर (झाविमो क्रीड़ा मंच के जिला अध्यक्ष) द्वारा दायर याचिका (पीआइएल नंबर 1088/2014) पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बीरेंदर सिंह एवं न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने कहा कि अतिक्रमण के आधार पर 86 बस्ती को बिजली-पानी से वंचित नहीं किया जा सकता.
याचिकाकर्ता रविशंकर के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि उच्च न्यायालय ने सरकार एवं जुस्को को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है कि इन बस्तियों में कैसे बिजली-पानी दी जा सकती है. अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि हाइकोर्ट ने कहा कि अगर वैधता की जांच करेंगे तो किसी को बिजली-पानी नहीं मिलेगी, इसलिए पहले बिजली-पानी दें उसके बाद देखेंगे कि क्या किया जा सकता है.
अधिवक्ता श्री कुमार ने कहा कि कोई गरीब व्यक्ति एक कमरे का मकान बना कर रह रहा है तो उसे अतिक्रमण माना जा सकता है. अगर बस्ती अतिक्रमित है तो उस पर जो कार्रवाई करनी है वह होती रहे, लेकिन बिजली-पानी से वंचित नहीं किया जा सकता. इसलिए किस तरह बिजली -पानी दी जा सके यह सरकार और जुस्को निर्णय लेकर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करे. साथ ही नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को मामले में प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी. अब मामले की अगली सुनवाई अप्रैल के प्रथम सप्ताह में होगी.
इससे पूर्व, जुस्को की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि वह पानी देने के लिए कटिबद्ध है. कनेक्शन के लिए 11000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुआ है. सैकड़ों लोगों ने पूर्व के बकाया का भुगतान नहीं किया है. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजेश शंकर ने पक्ष रखा.
86 बस्ती के लोगों के हक में बड़ा फैसला: अभय
झाविमो के केंद्रीय सचिव सह झारखंड ताइकांडो एकेडमी एंड सोशल एक्शन के संरक्षक अभय सिंह ने कहा कि हाइ कोर्ट का फैसला 86 बस्ती के लोगों के हक में बड़ा फैसला है. काशीडीह स्थित पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अभय सिंह ने कहा कि 86 बस्ती में बिजली-पानी देने को लेकर उन्होंने हाइ कोर्ट में रिट दाखिल की थी जिसे हाइ कोर्ट ने खारिज कर दिया था. पुन: उन्होंने पीआइएल दायर की.
उनके साथ-साथ बस्ती विकास समिति द्वारा भी पीआइएल दायर किया गया था, लेकिन उसमें उच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश नहीं आया था. अतिक्रमण मानते हुए बिजली-पानी की सुविधा से 86 बस्ती को वंचित कर दिया गया था. इसके बाद उनकी संस्था द्वारा पीआइएल दायर किया गया जिस पर हाइ कोर्ट ने सरकार एवं टाटा स्टील को निर्देश दिया है कि बिजली-पानी कैसे मिलेगी इस पर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.साथ ही नगर विकास विभाग को पक्ष बताने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किया गया है.
अभय सिंह ने बताया कि 86 बस्ती को बिजली-पानी के लिए वे शुरू से लड़ाई लड़ते रहे हैं. उन्होंने याचिका में आधार दिया था कि 86 बस्ती में चापाकल, फोन, एमएलए स्कीम, मुख्यमंत्री विकास योजना समेत तमाम सरकारी योजनायें चल रही है तो बिजली-पानी से कैसे वंचित किया जा सकता है. प्रेस वार्ता में याचिकाकर्ता और संस्था के जिला अध्यक्ष रविशंकर तथा झाविमो के मीडिया प्रभारी सह संस्था के महासचिव सीएच राममूर्ति भी उपस्थित थे.