त्याग भाव से किया गया कर्म यज्ञ समानलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर सर्किट हाउस एरिया स्थित आत्मीय वैभव विकास केंद्र (सीआइआरडी) में खुशहाल जीवन के लिए कर्मयोग विषय पर प्रवचन चल रहा है. इसके तीसरे दिन स्वामी भूमानंद तीर्थ ने कहा कि सिर्फ कर्म करना ही कर्मयोग नहीं है. बल्कि योग भाव से किया गया कर्म ही कर्मयोग है. मानसिक पूजा श्रेष्ठउन्होंने कहा कि कर्म करते समय मन में जो भाव रहता है वह प्रमुख है. सृष्टि की रचना ब्रह्मा ने की. सृष्टि की सारी चीजें भगवान की हैं. किसी चीज पर अधिकार मानना सृष्टि के आधार को अस्वीकार करने के समान है. आसक्ति को छोड़ कर कर्म करें. कर्म करते समय मन में त्याग व लोकहित का भाव रहता है, तो यह यज्ञ हो जाता है. उन्होंने साधकों को जीवन इंद्रिया व संसार के विषयों के बीच संपर्क की चर्चा करते हुए कहा कि सभी विषयों को पांच इंद्रियों द्वारा ही ग्रहण किया जाता है. सुख व दु:ख कभी भी स्थायी नहीं होते. अत: दोनों ही परिस्थितियों को सहर्ष ग्रहण करना चाहिए. इससे पहले सुबह सत्संग में मां गुरुप्रिया ने भक्तों के साधना संबंधी प्रश्नों के उत्तर दिये. उन्होंने वस्तुओं से भगवान की पूजा करने की अपेक्षा मानसिक पूजा को श्रेष्ठ बताया.
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आत्मीय वैभव विकास केंद्र में खुशहाल जीवन के लिए कर्मयोग विषय पर प्रवचन(फोटो है.)
त्याग भाव से किया गया कर्म यज्ञ समानलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर सर्किट हाउस एरिया स्थित आत्मीय वैभव विकास केंद्र (सीआइआरडी) में खुशहाल जीवन के लिए कर्मयोग विषय पर प्रवचन चल रहा है. इसके तीसरे दिन स्वामी भूमानंद तीर्थ ने कहा कि सिर्फ कर्म करना ही कर्मयोग नहीं है. बल्कि योग भाव से किया गया कर्म […]
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