जीवन का हिस्सा है विषाद : भूमानंद (फोटो आयी होगी)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर विषाद जीवन का अनिवार्य हिस्सा रहा है. हर युग में इसका समाधान योग द्वारा होता रहा है. योग वह आध्यात्मिक साधना है, जिससे जीवन में आनंद और संतुष्टि मिलती है. ये बातें स्वामी भूमानंद तीर्थ ने कहीं. वे बुधवार को आत्मीय वैभव विकास केंद्र (सीआइआरडी) में चल रहे जमशेदपुर ज्ञान यज्ञ को दूसरे दिन संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि त्रेता युग में लोगों का कष्ट देख राम को विषाद हुआ, जिसकी निवृत्ति वसिष्ठ देव के उपदेश से हुई. उसी का अनुसरण कर वे मर्यादा पुरुषोत्तम बने. कर्मयोग ही आध्यात्मिकता हैउन्होंने बताया कि द्वापर में युद्धक्षेत्र में अर्जुन शोक संतप्त हो गये, जिससे उत्पन्न विषाद ने उन्हें जिज्ञासाओं से भर दिया. उन्हीं के समाधान के रूप में गीता का प्रादुर्भाव हुआ. जिसका प्रथम अध्याय विषाद योग से ही संबंधित है. उन्होंने बताया कि वास्तव में कर्मयोग ही आध्यात्मिकता है. कर्म के बिना कोई क्षण भर भी नहीं रह सकता. कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ एनके दास, आरएस तिवारी, टाटा पिगमेंट्स के एमडी पी सरोदे, दीपा सेनगुप्ता आदि का योगदान रहा.
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सीआइआरडी में जमशेदपुर ज्ञान यज्ञ का दूसरा दिन
जीवन का हिस्सा है विषाद : भूमानंद (फोटो आयी होगी)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर विषाद जीवन का अनिवार्य हिस्सा रहा है. हर युग में इसका समाधान योग द्वारा होता रहा है. योग वह आध्यात्मिक साधना है, जिससे जीवन में आनंद और संतुष्टि मिलती है. ये बातें स्वामी भूमानंद तीर्थ ने कहीं. वे बुधवार को आत्मीय वैभव […]
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