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प्रगति के बाद भी मनुष्य नहीं बन पा रहा मानव : शिवेंदु लाहिड़ी

– क्रिया योग के इंटरनेशनल रिट्रीट का हुआ समापनजमशेदपुर. क्रिया योग के इंटरनेशनल रिट्रीट के अंतिम दिन देश-विदेश के क्रियावानों को संबोधित करते हुए क्रिया योगी शिवेंदु लाहिड़ी ने कहा कि आज का शिक्षित मनुष्य निरंतर प्रगति कर रहा है, किन्तु क्या बात है कि वह मनुष्य नहीं बन पा रहा है? सच तो यह […]

– क्रिया योग के इंटरनेशनल रिट्रीट का हुआ समापनजमशेदपुर. क्रिया योग के इंटरनेशनल रिट्रीट के अंतिम दिन देश-विदेश के क्रियावानों को संबोधित करते हुए क्रिया योगी शिवेंदु लाहिड़ी ने कहा कि आज का शिक्षित मनुष्य निरंतर प्रगति कर रहा है, किन्तु क्या बात है कि वह मनुष्य नहीं बन पा रहा है? सच तो यह है कि विकास के नाम पर उसने अब तक अपना पतन ही किया है. विश्व -विजय का आकांक्षी और उसके लिए निरंतर प्रयत्नशील मनुष्य के अहं (मैं) ने संपूर्ण मानव जाति को आतंक के साये में जीने को मजबूर कर दिया है. उसके इस अधोपतन पर प्रहार और कटाक्ष करते हुए उन्होंने दो बंदरों की कथा सुनायी जो सत्यलोक के स्वाध्याय के दौरान परस्पर बात करते हुए कह रहे थे कि मनुष्य ने हमें अपना पूर्वज घोषित करने में गर्व महसूस किया है, किन्तु हमें अपनी संतानों के कृत्य देख कर लज्जा हो रही है. तुच्छ स्वार्थ एवं लोभ के वशीभूत सभी हिंसा, लूट एवं दूसरों के अधिकारों का हनन करने की होड़ में लगे हैं; देखों, इन्होंने हमारी बची-खुची जाति का भी विनाश आरंभ कर दिया है. अंत में श्री लाहिड़ी ने कहा कि मानव जीवन की सफलता भगवत्ता को उपलब्ध होने में है, न कि बौद्धिक विकास की अड़ में राक्षस बन कर बंदरों के उपहास का पात्र बनने में है. अत: जीवन से भागो नहीं, जागो और समस्त भूमिकाओं का निर्वाह करते हुए अकर्म में प्रतिष्ठित रहने के जागरण में रहो.

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