जमशेदपुर: जोदि तोर डाक सुने केउ ना आशे, तबे एकला चलो रे.., कविगुरु रविंद्रनाथ टैगोर के गीत की यह पंक्ति बागबेड़ा निवासी पारसनाथ मिश्र (31) पर सटीक बैठती है. जनसेवा के जुनून में पारस ने बागबेड़ा रोड नंबर-1 के पास स्थित जंगल-झाड़ व कूड़ा-कर्कट से भरे वायरलेस मैदान को खेलकूद व वाकिंग ग्राउंड में बदल दिया.
डेढ़ लाख स्क्वायर फीट में फैले इस मैदान को साफ और समतल करना काफी मुश्किल था, पर वे हार नहीं माने. समाज के प्रबुद्ध लोगों से मिले. सांसद डॉ अजय कुमार से भी मिले. फिर क्या था उनके सपनों को पंख लग गये. कॉलोनी और बस्ती के लोगों ने भी सहयोग किया. मैदान बनाने की राह में पारस अकेले चले और धीरे-धीरे कारवां बन गया.
अभी वायरलेस मैदान पूरी तरह समतल हो चुका है. लाखों का काम लोगों के सहयोग से हो गया. इसके बाद जो लोग कल तक उनकी हंसी उड़ाते थे, वे आज उनकी प्रशंसा करते नहीं थकते हैं.