वरीय संवाददाता, जमशेदपुरदलमा वन्य प्राणी आश्रयणी आज 38 साल का हो गया. आज के दिन (19 दिसंबर, 1976) इसका उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र सह पर्यावरणविद् स्वर्गीय संजय गांधी ने किया था. 1975 में दलमा जंगल को भारत सरकार ने गज वन प्राणी आश्रयणी के रूप में अधिसूचित किया था. संजय गांधी के प्रयास से यह संभव हो पाया था. इसके बाद से लगातार यह वन्य प्राणी आश्रयणी के रूप में विकसित होता रहा है. यहां गज परियोजना भी चलायी जा रही है ताकि हाथियों की आवाजाही में किसी तरह की दिक्कत न हो.195 वर्ग किमी में फैले आश्रयणी के अस्तित्व पर संकट38 साल की दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है. सुवर्णरेखा परियोजना के तहत हुए कार्य का आश्रयणी पर प्रतिकूल असर पड़ा है. इसे देखते हुए इको सेंसेटिव जोन के रुप में इसको घोषित किया गया है. कई इलाकों में विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई की गयी. इसका खामियाजा सभी को भुगतान पड़ा है. इस जंगल के अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगा है. हाथियों का सबसे बड़ा अभ्यारण्य कभी ज्वालामुखी हुआ करता थादलमा वन्य प्राणी आश्रयणी हाथियों के लिए सबसे बड़ा अभ्यारण्य की जगह करीब एक हजार साल पहले ज्वालामुखी हुआ करता था. इसके बाद यह धीरे-धीरे शांत हो गया. अब यह बड़ा अभ्यारण्य हो चुका है.
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38 साल का हो गया दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी फोटो है संजय गांधी द्वारा उदघाटित पट्ट का (ब्रजेश स्टोरी फोटो)
वरीय संवाददाता, जमशेदपुरदलमा वन्य प्राणी आश्रयणी आज 38 साल का हो गया. आज के दिन (19 दिसंबर, 1976) इसका उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र सह पर्यावरणविद् स्वर्गीय संजय गांधी ने किया था. 1975 में दलमा जंगल को भारत सरकार ने गज वन प्राणी आश्रयणी के रूप में अधिसूचित किया था. संजय गांधी के […]
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