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…नदी ने ढूंढ़ लिया तीसरा किनारा भी

(फोटो बज्म ए हमख्याल के नाम से सेव है)बज्म ए हमख्याल ने आयोजित किया मुशायराजमशेदपुर. मानगो ओल्ड पुरुलिया रोड स्थित मदर्स होम पब्लिक स्कूल में बज्म ए हमख्याल, जमशेदपुर के एक मुशायरे का आयोजन किया गया. नगर के सुपरिचित शायर असलम बद्र की सरदारत में आयोजित मुशायरे का संचालन एमजेड फराहम ने किया. हाफिज समीरुद्दीन […]

(फोटो बज्म ए हमख्याल के नाम से सेव है)बज्म ए हमख्याल ने आयोजित किया मुशायराजमशेदपुर. मानगो ओल्ड पुरुलिया रोड स्थित मदर्स होम पब्लिक स्कूल में बज्म ए हमख्याल, जमशेदपुर के एक मुशायरे का आयोजन किया गया. नगर के सुपरिचित शायर असलम बद्र की सरदारत में आयोजित मुशायरे का संचालन एमजेड फराहम ने किया. हाफिज समीरुद्दीन सरवर ने अपनी गजल पढ़ी ‘मिस्कीन को नादार को हक अब नहीं मिले।/ उस शख्स को मिलता है जो हकदार नहीं है.’ उनके बाद डॉ सीराज दानिश ने पेश किया, ‘थे मुहाफिज बहुत शहर में जाबजा। / फिर भी लूटे गये हम मिटाये गये।’ प्रो अहमद बद्र की गजल ‘जो सब से कीमती मोती था उसको कुदरत ने। / छुपा के रखा है पलकों के पास आंखों में।’ तथा अंत में सदर असलम बद्र की रचना ‘नजर में उसकी समंदर भी था, किनारा भी, / नदी ने ढूंढ़ लिया तीसरा किनारा भी।’ की सबकी वाहवाही मिली. मुशायरे में इनके अलावा युसुफ दानिश, मुश्ताक अहजन, एमजेड फराहम, जफर एकबाल रहमानी, मशहर हबीबी, जीडी अहमर, असर भागलपुरी, तांबा वास्ती आदि ने भी अपनी रचनाएं सुनाईं.

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