-बंगाली घरों में होती है मां काली की पूजा-चतुर्दशी को घरों में बनते हैं 14 किस्म के सागसंवाददाता. जमशेदपुर दीपावली के मौके पर बंगाली परिवारों में लक्ष्मी-गणेश पूजा का नहीं, काली पूजा का प्रचलन है. कुछ लोग लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं. कुछ लोग अपने घरों में पूजा करते हैं तो कुछ कॉलोनी में आयोजित पूजा में शामिल होते हैं. अमावस के एक दिन पहले यानी चतुर्दशी को महिलाएं 14 किस्म को मिला कर साग बनाती हैं. दोपहर में परिवार के लोग साग के साथ खाना खाते हैं. रात में अंधेरे के स्थानों पर 14 दीये जलाने की परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि 14 किस्म के साग खाने से शरीर रोग मुक्त रहता है, वहीं 14 दीये अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाते हैं, जिससे घर में अशुभ शक्ति प्रवेश न कर सके . दीपावली के दिन बंगाली समुदाय के लोग उपवास कर मां काली की पूजा करते हैं. घरों में दीये जलाते हैं तथा आतिशबाजी कर दीपावली का आनंद लेते हैं. परंपरा निभाना हुआ मुश्किल बंगाल में काली पूजा के दो दिन पहले से बाजार में आसानी से 14 किस्म के साग मिल जाते हैं. पर इस शहर में एक साथ सभी साग नहीं मिलते. बाजार जाकर हर तरह के साग की खरीदारी करनी पड़ती है. इस बार बुधवार (22 अक्तूबर) को घरों में 14 किस्म के साग बनेंगे. – प्रणति कविराज.टेल्को
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22 को बंगाली घरों में जलेंगे 14 दीये
-बंगाली घरों में होती है मां काली की पूजा-चतुर्दशी को घरों में बनते हैं 14 किस्म के सागसंवाददाता. जमशेदपुर दीपावली के मौके पर बंगाली परिवारों में लक्ष्मी-गणेश पूजा का नहीं, काली पूजा का प्रचलन है. कुछ लोग लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं. कुछ लोग अपने घरों में पूजा करते हैं तो कुछ कॉलोनी में आयोजित […]
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