जमशेदपुर: सांसद विद्युत वरण महतो ने झारखंड में इंदिरा आवास योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा संसद में शून्यकाल के दौरान उठाया. राज्य में योजना की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए कार्रवाई की मांग की. इसके बाद ग्रामीण विकास मंत्रलय ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिये हैं. सांसद ने कहा है प्रशासनिक निष्क्रियता व अन्य कारणों से योजना दम तोड़ रही है.
हाल ही में सीएजी रिपोर्ट 2012-13 में कहा गया कि इंदिरा आवास योजना में झारखंड सरकार केंद्र से 256.42 करोड़ रुपये नहीं ले सकी. साथ ही अतिरिक्त बोझ के डर से 9.90 लाख बीपीएल परिवारों को इस योजना का लाभ नहीं दिया गया. 14 प्रखंडों की जांच में पाया गया कि 25425 लाभार्थियों का चयन ग्रामसभा के बिना हुआ और सबसे महत्वपूर्ण खुलासा यह हुआ कि 593 लोगों को इंदिरा आवास स्वीकृति किये गये, जिनका नाम बीपीएल सूची में नहीं है.
इस योजना की विफलता का मुख्य कारण भ्रष्टाचार, इसका डिजाइन में खामी और गरीबों तक योजना का नहीं पहुंचना है. इस योजना में भूमि आवंटन बड़ी बाधा है, क्योंकि अधिकांश गरीब लोगों के पास जमीन नहीं है, वे दूसरे जमीन मालिकों और सरकारी जमीन पर रहते हैं. इंदिरा आवास योजना में जिन लोगों के पास अपनी जमीन नहीं है, उनके लिए कोई प्रावधान ही नहीं है.