जमशेदपुर : नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की कोलकाता बेंच में शुक्रवार को केबुल कर्मचारियों व सीओसी की दाखिल बिंदुओं पर सुनवाई होगी. सीओसी की ओर से कंपनी को दिवालिया करने के लिए आवेदन दिया गया है. इससे पूर्व गुरुवार को एनसीएलटी की कोलकाता बेंच न्यायिक सदस्य एमबी गोसावी व वीके गुप्ता की कोर्ट में केबुल कंपनी के कोलकाता में कार्यरत कंपनी के कर्मचारियों की ओर से उनके अधिवक्ता ने सीओसी के देनदारी की एसाइनमेंट पर सवाल उठाया.
कहा कि कोई भी कंपनी किसी दूसरी निजी या प्राइवेट या नॉन फाइनेंशियल कंपनी को अपनी लेनदारी हस्तांतरित नहीं कर सकती है, जो भारतीय रिजर्व बैंक के अंतर्गत रजिस्टर्ड नहीं है, जबकि आरपी के वरीय अधिवक्ता जॉय शाह ने कर्मचारियों के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि केबुल में पूर्व में कितने कर्मचारी थे. वर्तमान में कितने कर्मचारी हैं. इसका कोई रिकाॅर्ड रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) के पास नहीं है.
कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरीय अधिवक्ता अखिलेश ने 277 कर्मचारियों का शपथ पत्र व पावर ऑफ अटॉर्नी कोर्ट में दाखिल नहीं किया है और कॉमर्शियल जजमेंट के आधार पर सीओसी द्वारा कंपनी को दिवालिया करने के निर्णय को एनसीएलटी भी सवाल उठा नहीं सकती है. सीओसी को पावर है कि वह कंपनी को दिवालिया कर सकती है और कोई भी कर्मचारी जमीन या सीओसी के निर्णय पर सवाल नहीं उठा सकती.