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स्कूल भवन है कंडम, पेड़ के नीचे चल रही है क्लास

जमशेदपुर : पढ़ेगा झारखंड, तभी तो बढ़ेगा झारखंड. इस नारे के साथ झारखंड की सरकारी व्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रयास भले किया जा रहा है, लेकिन पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड के काड़ाडुबा पंचायत के कालापाथर मध्य विद्यालय के बच्चों की क्लास पेड़ के नीचे लग रही है. शिक्षक व विद्यार्थी प्रतिदिन आते […]

जमशेदपुर : पढ़ेगा झारखंड, तभी तो बढ़ेगा झारखंड. इस नारे के साथ झारखंड की सरकारी व्यवस्था को सुदृढ़ करने का प्रयास भले किया जा रहा है, लेकिन पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला प्रखंड के काड़ाडुबा पंचायत के कालापाथर मध्य विद्यालय के बच्चों की क्लास पेड़ के नीचे लग रही है.

शिक्षक व विद्यार्थी प्रतिदिन आते हैं, लेकिन वे क्लास रूम के बजाय पेड़ के नीचे पठन-पाठन करते हैं. पहली से छठी क्लास तक के करीब 190 बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ रहे हैं.
बारिश आने के बाद विद्यार्थी बरामदे पर क्लास लगाते हैं, जबकि बारिश नहीं होने पर 23 जुलाई से लगातार पेड़ के नीचे पढ़ाई हो रही है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की अोर से पिछले दिनों एक आदेश दिया गया कि कंडम भवनों में स्कूल का संचालन नहीं किया जाये.
मानसून में बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह आदेश दिया गया था. जिला प्रशासन ने उक्त आदेश के आलोक में इस प्रकार के करीब 400 स्कूलों को चिह्नित किया. बीइइअो के स्तर से 22 जुलाई को सभी स्कूलों के प्रभारी प्राचार्य को कंडम स्कूल में क्लास नहीं संचालित करने का आदेश दिया गया.
हालांकि इसके लिए वैकल्पिक इंतजाम क्या हो, इसे लेकर ठोस आदेश नहीं दिया गया था. घाटशिला प्रखंड के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी केशव प्रसाद ने कहा कि सुरक्षा की दृष्टिकोण से स्कूल भवन में क्लास लेने पर रोक है.
क्या हो सकता है विकल्प
घाटशिला के सिर्फ कालापाथर ही नहीं, बल्कि डाइनमारी और कानीमहुली के स्कूल भवन की भी यही स्थिति है. इस प्रकार के स्कूलों में कक्षाएं निर्बाध रूप से चले, इसके लिए आसपास के सरकारी भवन, आंगनबाड़ी, पंचायत भवन में बच्चों को शिफ्ट किया जा सकता है. स्कूल प्रबंधन समिति द्वारा अस्थायी तौर पर शेड बना कर भी कक्षाएं करवायी जा सकती है.
1972-1973 में बना था स्कूल का भवन
घाटशिला प्रखंड की काड़ाडुबा पंचायत के कालापाथर मध्य विद्यालय की स्थापना 1933 में ग्रामीणों की मदद में हुई थी. इस विद्यालय में भवन 1972-73 में बने थे. भवन निर्माण हुए 45 वर्ष हो गये. 45 वर्षों के बाद भी भवन की मरम्मत नहीं हुई, जिसके बाद विभाग के स्तर से स्कूल भवन को कंडम घोषित कर दिया गया.
बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से आदेश दिया गया था कि उन्हें कंडम भवन में नहीं पढ़ायी जाये. कंडम भवन को ध्वस्त करने का भी आदेश दिया गया है. पेड़ के नीचे पढ़ाई करवाना अनुचित है. इस मामले में बीइइअो को जांच कर तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा गया है. जिले में करीब 400 भवनों को जर्जर घोषित किया गया है.
शिवेंद्र कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम
क्या कहते हैं शिक्षक
विद्यालय के प्रधानाध्यापिका पूनम मंजीता लकड़ा ने कहा कि विद्यालय भवन काफी पुराना हो गया है. कई जगहों पर दीवार में दरार हो गयी है. जो सुरक्षा को ध्यान में रख कर अस्थायी रूप से बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ायी जा रही है.
हालांकि 2007-08 में दो कमरों का भवन स्कूल परिसर में बनाया गया था. इस भवन में कक्षा सातवीं और आठवीं की कक्षाएं संचालित होती हैं. शिक्षकों ने बताया कि बारिश होने पर स्कूल के बरामदे में बच्चों को बैठाया जाता है.

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