जमशेदपुर: महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल प्रबंधन मरीजों को भोजन की जगह बीमारी बांट रहा है. मरीजों को भोजन परोसे जाने से पूर्व गुणवत्ता की गारंटी देने के लिए यहां कोई तंत्र नहीं है. अगर है भी तो वितरण से पूर्व भोजन की जांच नहीं की जाती. भोजन का वितरण खुले बरतन में असुरक्षित रूप से किये जाने की बात सामने आयी है. अस्पताल के भीतर वार्ड में कई प्रकार की दवा व रासायन की मौजूदगी के बावजूद खुाले बरतन में बांटे जा रहे भोजन के ऊपर मंडराती मक्खियां संक्रमण की संभावना को बढ़ा देती है. यहां खाना वितरण करने वाले कर्मचारी भी नियमानुसार ड्रेस, दास्ताने व सिर पर टोपी नहीं पहनते. रही सही कसर साफ-सफाई की कमी पूरा कर देती है. ऐसे में अगर कोई मरीज संक्रमण से ग्रस्त हो जाये तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
अस्पताल में मरीजों को इस ढंग से खाना दिया जा रहा है,इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है. सबसे पहले मुङो देखना होगा कि किस प्रकार से खाना दिया जा रहा है. अगर उसमें कोई खराबी पाई जायेगी तो उसमें सुधार किया जायेगा.
एएन मिश्र,अधीक्षक, एमजीएम अस्पताल.
बल्टी-केन से वितरण
महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल के इमरजेंसी व मेडिकल वार्ड में भर्ती मरीजों को दिये जाने वाला खाना बल्टी व केन में रख कर बांटा जाता है. न ढका होता है न ही सफाई का ध्यान रखा जाता है.
डायरिया और दस्त को आमंत्रण
डॉक्टरों के अनुसार संक्र मण युक्त खाना खाने से मरीज एक बीमारी के अलावे दूसरी बीमारी की चपेट में भी आसानी से आ सकते है. डॉक्टरों ने बताया कि अस्पताल के वार्ड में कई प्रकार की बीमारी से ग्रसित लोगों का आना-जाना लगा रहता है. जिस कारण वहां पर पहले से ही कई संक्रमण मौजूद रहते है. ऐसे में खुले बरतन में खाना देने से संक्रमण किसी न किसी रूप में खाना में प्रवेश कर ही जाता है.
अस्पताल में भोजन पर खर्च होता है 4.70 लाख रुपये
एमजीएम अस्पताल के खाना पर प्रति माह लगभग 4.70 लाख रुपया खर्च किया जात है. जिसमें खाना पकाने के सामान से लेकर गैस सिलिंडर भी शामिल होता है. पिछले कुछ वर्षो में परेशानी होने के कारण किचन में भी कई सुविधाएं बढ़ायी गयी थी.
तीन वर्ष पूर्व आयी थी ट्रॉली
एमजीएम अस्पताल में खाना बांटने वाली ट्रॉली करीब 3 वर्ष पूर्व अस्पताल में मंगायी गयी थी. प्रारंभ में सभी वार्ड में ट्रॉली में रख कर ही मरीजों के बीच खाना का वितरण किया जाता था. लेकिन वर्तमान में ट्रॉली पूरी तरह से टूट गई है. अस्पताल के सूत्रों की माने तो काफी दिनों से यह ट्रॉली बेकार हो गई है.