वैसे तो अस्पताल परिसर संवेदना का वह स्थल है जहां पहुंचकर उम्मीद की जाती है कि किसी भी इनसान को तत्काल चिकित्सा सुविधा मिलेगी, वह भी बिना यह जाने की वह इनसान कौन है और उसका परिचय क्या है? लेकिन यह संवेदना महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल में मंगलवार मानवता दोपहर दम तोड़ती नजर आयी. एक मरीज मेडिकल वार्ड के समीप तड़प-तड़प मर गया लेकिन न ही चिकित्सक न ही चिकित्साकर्मियों का ध्यान उस ओर गया. जब तक ध्यान जाता उसकी मौत हो चुकी थी.
जमशेदपुर: एमजीएम अस्पताल के मेडिकल बिल्डिंग के समीप मंगलवार की दोपहर अज्ञात शव लोगों ने देखा. उस समय लगभग 12 बज रहे थे. मरीज आते-जाते रहे, कई सीनियर-जूनियर डॉक्टर उधर से गुजर गये लेकिन किसी ने शव को हटाने अथवा यह जानने की जहमत नहीं उठायी की यह व्यक्ति कौन है? यह यहां कैसा आया? इसकी मौत कैसे हुई? क्या यह मरीज इलाजरत था अथवा बाहर से आकर इलाज से पूर्व ही उसकी मौत हो गयी? उठ रहे कई सवालों के बीच शव लगभग तीन घंटे तक मेडिकल वार्ड के पास पड़ा रहा.
इस दौरान शव को परिसर से हटाने और आम मरीजों की परेशानी को लेकर भी चिकित्सक अथवा एमजीएम कर्मी संजीदा नहीं रहे. अस्पताल परिसर में पड़े शव की जानकारी मिलने पर भारतीय जनता युवा मोरचा जमशेदपुर महानगर के जिला मंत्री शैलेश गुप्ता अस्पताल पहुंचे और अस्पताल उपाधीक्षक डॉ एके सिंह को इसकी जानकारी दी. भाजपाइयों ने डाक्टरों की संवेदन शून्यता पर उपाधीक्षक से कड़ा एतराज जताया. उनके साथ आये भाजपाईयों विजय सिंह, रवींद्र, सौरभ चौधरी, गोपाल, राणा, छोटू आदि ने एमजीएम की कुव्यवस्था पर आंदोलन की धमकी तक दे डाली. इसके बाद अस्पताल उपाधीक्षक की नींद टूटी. इसके बाद आनन-फानन में लगभग तीन बजे शव को उठाकर पुराने पोस्टमार्टम रूम में रखा गया. अलबत्ता यह खुलासा जरूर हुआ कि मृतक अस्पताल परिसर में ही पेड़ के नीचे रहता था. उसकी पहचान नहीं हो सकी है.
अस्पताल परिसर में घंटों शव का पड़ा रहता डॉक्टरों के संवेदन शून्यता को दर्शाता है. मरीजों को बेहतर इलाज मिले और शवों को रखने का बेहतर इंतजाम हो यह जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की है. अगर एमजीएम में दोबारा ऐसी घटना होती है तो भाजपा आंदोलन को बाध्य होगी.
शैलेश गुप्ता, जिला मंत्री, भाजयुवा मोर्चा
मेडिकल वार्ड के समीप पड़े शव को हटा दिया गया है. अस्पताल में लावारिस शवों को रखने की व्यवस्था की जा रही है. ऐसे शव को 72 घंटे तक सुरक्षित रखने का नियम है, अस्पताल इसका उपाय कर रहा है.
डॉ एके सिंह, उपाधीक्षक, एमजीएम अस्पताल