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राशन दुकान से अनाज लेने के लिए 1.5 किमी ऊंची पहाड़ी पर चढ़कर पंचिंग कर रहे लाभुक

गम्हरिया : गम्हरिया प्रखंड स्थित टेंटोपोसी पंचायत के आवलाटांड़ (राजनाथडीह) गांव के लोगों को पीडीएस दुकान से अनाज लेने के लिए कड़ी परीक्षा से गुजरनी पड़ती है. राशन दुकान से अनाज लेने से पहले आमलाटांड़ ही नहीं बल्कि सिंदूकोपा, बैगनाडीह, दुबराजपुर व उकामा गांव के करीब 500 लाभुकों को 1.5 किमी दूरी तय कर ऊंची […]

गम्हरिया : गम्हरिया प्रखंड स्थित टेंटोपोसी पंचायत के आवलाटांड़ (राजनाथडीह) गांव के लोगों को पीडीएस दुकान से अनाज लेने के लिए कड़ी परीक्षा से गुजरनी पड़ती है. राशन दुकान से अनाज लेने से पहले आमलाटांड़ ही नहीं बल्कि सिंदूकोपा, बैगनाडीह, दुबराजपुर व उकामा गांव के करीब 500 लाभुकों को 1.5 किमी दूरी तय कर ऊंची पहाड़ी पर जाना पड़ता है.
रोज सुबह इस पहाड़ी पर भीड़ जुटती है. कारण यह है कि गांव या पीडीएस दुकान में ई-पॉश मशीन का नेटवर्क नहीं मिलता. लाभुकों को ई-पॉश मशीन के जरिये पंचिंग कराने के लिए डीलर रामसोय माझी को अपने घर से डेढ़ किमी दूर स्थित पहाड़ी पर जाकर एक पेड़ के सहारे नेटवर्क की तलाश करनी पड़ती है. नेटवर्क मिल गया, तो सभी लाभुक वहां पहुंचते हैं और बारी-बारी से पंचिंग करते हैं. इसके बाद घर आकर डीलर सभी को अनाज देता है.
डीलर रामसोय माझी ने बताया, समस्या करीब आठ माह से चल रही है.
विभागीय पदाधिकारियों को इसकी सूचना भी दी गयी है. लेकिन उन्होंने भी समस्या के समाधान को लेकर असमर्थता जतायी. इसका नतीजा है कि क्षेत्र के करीब पांच सौ लाभुकों को प्रतिमाह कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है.
समय की बर्बादी. नेटवर्क नहीं होने की वजह से डीलर व लाभुकों के समय की बर्बादी भी हो रही है. पहाड़ी पर एक-एक कर सभी लाभुकों की पंचिंग होती है. इसके बाद पुनः डेढ़ किमी पैदल चलकर सभी दुकानदार के साथ दुकान पहुंचते हैं. यहां उन्हें अनाज मिलता है. अनाज लेने के लिए लाभुकों को दो-दो दिन काम छोड़कर पहाड़ पर जमे रहना पड़ता है.
गांव या दुकान में काम नहीं करता नेटवर्क
पहाड़ी पर जाना पड़ता है. पेड़ के सहारे मिलता है नेटवर्क
करीब 500 लाभुकों को हर माह हो रहे परेशानी
गांव या दुकान में काम नहीं करता नेटवर्क
पहाड़ी पर जाना पड़ता है. पेड़ के सहारे मिलता है नेटवर्क
करीब 500 लाभुकों को हर माह हो रहे परेशानी
एक कार्ड में लग जाता है आधा घंटा : डीलर माझी ने बताया, जब नेटवर्क सही तरीके से काम करता था, तब एक सप्ताह में सभी लाभुकों के बीच अनाज वितरण कर दिया जाता था. लेकिन नेटवर्क की समस्या के कारण अब एक कार्ड में आधा घंटा तक का समय लग जाता है. इसकी वजह से शत- प्रतिशत लाभुकों के बीच सामग्री का वितरण नहीं हो पाता है.

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