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जमशेदपुर : आदिवासियों ने शिक्षा, अमन, चैन और शांति को फैलाने का संकल्प

संवाद- ए ट्राइबल कॉन्क्लेव का समापन जमशेदपुर : टाटा स्टील द्वारा आयोजित संवाद- ए ट्राइबल कॉन्क्लेव में देश व विदेश के आदिवासियों ने शिक्षा, अमन, चैन, एकता तथा शांति को फैलाने का संकल्प लिया. यह आदिवासी समुदाय के बदलते सोच को साफ दर्शा रही है. या फिर यह कहा जा सकता है कि विश्व के […]

संवाद- ए ट्राइबल कॉन्क्लेव का समापन

जमशेदपुर : टाटा स्टील द्वारा आयोजित संवाद- ए ट्राइबल कॉन्क्लेव में देश व विदेश के आदिवासियों ने शिक्षा, अमन, चैन, एकता तथा शांति को फैलाने का संकल्प लिया. यह आदिवासी समुदाय के बदलते सोच को साफ दर्शा रही है.

या फिर यह कहा जा सकता है कि विश्व के आदिवासियों में बदलाव की बयार बह रही है. सोमवार को देश-विदेश से आये आदिवासियों ने अपने-अपने अंदाज में संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव को सेलीब्रेट किया. साथ यह भी संकल्प लिया कि वे विश्व पटल पर अपने आप में एक मिसाल बनेंगे.

सोमवार को सोनारी स्थित टीसीसी में विभिन्न आदिवासी समुदाय के वक्ताओं ने अपने समाज की कहानी अपनी जुबानी बता रहे थे. उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में आदिवासियों की स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है. कंप्यूटर के इस युग में प्रकृति व पर्यावरण के निकट यदि कोई रह रहा है तो वे केवल आदिवासी हैं. उनका जल, जंगल व जमीन ही सबकुछ है.

इनसे सीधे जुड़े होने की वजह से उन्हें अनगिनत परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है. जिसका वे डट कर विरोध व मुकाबला भी करते हैं. वे देश व दुनिया के लोगों से चाहते हैं कि उनकी परेशानी व दुख-तकलीफ को समझा जाये. उनसे प्रेम व सहानुभूति रखे. उन्हें भी अमन, चैन व शांति से रहने का हक मिलना चाहिए.

अस्तित्व पर खतरा मंडराने से कोई भी कुछ क्षण के लिए अपना आपा खाे सकता है. लेकिन विवाद व द्वेष कोई समाधान नहीं. वक्ताओं ने कहा कि अन्य समाज व समुदाय के लोगों का नजरिया भी बदल रहा है. आदिवासियों से संवाद स्थापित कर विवाद की खाई को पाट रहे हैं. जो निकट भविष्य में रिश्तों की नयी अध्याय को शुरू करेगा.

संवाद पूरे विश्व के आदिवासियों को जोड़ने का काम करेगा

टाटा स्टील की ओर से आयोजित संवाद- ए ट्राइबल कॉन्क्लेव का शुभारंभ और चार साल तक सफल संचालन करनेवाले पूर्व सीएसआर प्रमुख बीरेन रमेश भुटा ने कहा का संवाद का शुभारंभ एक लंबी सोच के तहत किया गया था और इस साल संवाद एक पायदान आगे बढ़ा है.

संवाद में जिस तरह से देश के साथ-साथ विदेशों के आदिवासी जुड़ रहे है और अपने विचार का शेयर कर रहे हैं. यह देखकर काफी संतुष्टी होती है. आनेवाले दिनों में यही संवाद पूरे विश्व के आदिवासियों को जोड़ने का काम करेगा.

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