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केयू को दस वर्ष में यूजीसी से नहीं मिली राशि, 100 करोड़ से अधिक का नुकसान

जमशेदपुर : कोल्हान विवि को पिछले दस वर्ष में यूजीसी से विकास के मद में एक चवन्नी नहीं मिली है. विवि को ’12 बी’ का दर्जा नहीं होने के कारण स्थापना से अब तक करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. विवि के स्नातकोत्तर विभागों में शिक्षकों की कमी सबसे बड़ी समस्या है. […]

जमशेदपुर : कोल्हान विवि को पिछले दस वर्ष में यूजीसी से विकास के मद में एक चवन्नी नहीं मिली है. विवि को ’12 बी’ का दर्जा नहीं होने के कारण स्थापना से अब तक करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. विवि के स्नातकोत्तर विभागों में शिक्षकों की कमी सबसे बड़ी समस्या है. वरीयता के आधार पर अंगीभूत शिक्षकों का विवि में स्थानांतरण कर काम चलाया जा रहा है.
तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों से लेकर पुस्तकालय व लाइब्रेरी तक में मानव संसाधन की घोर कमी है. 12बी में शामिल होने पर राज्य विश्वविद्यालयों को केंद्रीय अनुदान सहित यूजीसी का अनुदान प्राप्त करना आसान होता है. अनुदान की मात्रा और स्वरूप हर वित्तीय वर्ष की योजना के अनुदान परिवर्तित होता है.
औसतन मापदंड पर खरा उतरने वाले प्रत्येक विवि को यूजीसी की तरफ से प्रति वर्ष 10 करोड़ से 20 करोड़ रुपये तक का अनुदान प्राप्त होता है. संबंधित राशि विवि अपने संसाधनों के विकास में इस्तेमाल करते हैं. राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद के मूल्यांकन के बाद विवि को सी ग्रेड प्राप्त हुआ. इसके बाद राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान से विवि को 20 करोड़ रुपये की राशि निर्गत करने की स्वीकृति प्राप्त हुई. यह राशि अलग-अलग किस्त में विवि को प्राप्त हो रही है.
एक वर्ष पहले रोस्टर हो गया क्लियर, नहीं हुई बहाली
झारखंड सरकार के कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग की ओर से केयू के स्नातकोत्तर एवं अधीनस्थ अंगीभूत कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के रिक्त पदों का आरक्षण रोस्टर क्लियर कर दिया. करीब एक वर्ष बाद भी इन पदों पर बहाली नहीं हो सकी. विवि के अंतर्गत कुल 20 विभागों के कुल 582 पदों से 274 पर रिक्त मानें गये. वहीं 308 पदों पर शिक्षक अपनी सेवा देते हुए दिखाये गये. खाली पड़े पदों में 167 की नियुक्ति नियमित तथा 107 पदों की नियुक्ति बैकलॉग के जरिये की जानी थी.
भूगर्भशास्त्र, मानव विज्ञान, समाजशास्त्र, विधि विषयों का आरक्षण रोस्टर नहीं हो पाया. संथाली एवं मैथिली भाषा में रिक्त पद शून्य हैं. इसमें रोस्टर क्लियरेंस की आवश्यकता नहीं बतायी गया. महिलाओं के लिए आठ पद आरक्षित किये गये. दिव्यांगों के लिए आठ पद आरक्षित किये गये.विवि को केंद्रीय अनुदान प्राप्त हो सके, इसके लिए निर्धारित मापदंड को पूरा करने की दिशा में प्रयासरत हैं.
डॉ एके झा, प्रवक्ता, कोल्हान विवि
रांची विवि से अलग होकर बना केयू अनुदान से वंचित
रांची यूनिवर्सिटी से अलग होकर 14 अंगीभूत कॉलेजों को लेकर 13 अगस्त 2009 को स्थापित केयू यूजीसी के कॉस्टिट्यूएंट (अंगीभूत) विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल नहीं हो सका. यूजीसी के नियमानुसार, किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान या विवि के लिए ’12 बी’ और ‘2 एफ’ के तहत यूजीसी मान्यता की जरूरत होती है.
इसमें ‘2 एफ’ का दर्जा मिलने से उच्च शिक्षण संस्थान को यूजीसी की ओर से प्रमाणपत्र या डिग्री निर्गत करने का अधिकार प्राप्त होता है. वहीं, ’12 बी’ का दर्जा प्राप्त होने पर उच्च शिक्षण संस्थान को यूजीसी की ओर से वित्तीय सहयोग प्राप्त करने की योग्यता मिलती है. विवि को ‘2 एफ’ का दर्जा राज्य सरकार की ओर से नो ऑब्जेक्शन मिलने के साथ ही प्राप्त हो गया था.

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