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धालभूमगढ़ एयरपोर्ट, ट्रांसपोर्ट नगर समेत सड़क की कई योजनाएं अब जल्द होंगी पूरी

जमशेदपुर : भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप जारी है, इस बीच सरकार द्वारा बिल (भूमि अर्जन पुनर्वास, पुनर्व्यस्थापन में उचित प्रतिकर अौर पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2017) लागू कर देने की सूचना है. हालांकि बिल को लागू करने के संबंध में अधिसूचना अब तक जिला प्रशासन को नहीं […]

जमशेदपुर : भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप जारी है, इस बीच सरकार द्वारा बिल (भूमि अर्जन पुनर्वास, पुनर्व्यस्थापन में उचित प्रतिकर अौर पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2017) लागू कर देने की सूचना है. हालांकि बिल को लागू करने के संबंध में अधिसूचना अब तक जिला प्रशासन को नहीं मिली है, लेकिन जो बातें सामने आयी है, उसके अनुसार स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, रेल, सड़क, जल मार्ग, विद्युतीकरण, सिंचाई, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आवास, जलापूर्ति, पाइपलाइन, ट्रांशमिशन एवं अन्य सरकारी भवन के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (एसआइए) नहीं कराने का प्रावधान किया गया है.

एसआइए की बाध्यता को समाप्त कर उसके स्थान पर ग्रामसभा अौर स्थानीय प्राधिकारी के परामर्श से भूमि अधिग्रहण का नियम तय किया गया है. नये बिल में एसआइए समाप्त करने से धालभूमगढ़ एयरपोर्ट, एनएच-33 किनारे बड़ाबांकी में ट्रांसपोर्ट नगर निर्माण समेत पथ निर्माण की कई महत्वपूर्ण योजनाअों को राहत मिलने की बात कही जा रही है. धालभूमगढ़ एयरपोर्ट हेतु अधिग्रहण के लिए 57 एकड़ रैयती जमीन चिह्नित की गयी है, जबकि बड़ाबांकी में ट्रांसपोर्ट नगर निर्माण के लिए 6.69 एकड़ रैयती जमीन का अधिग्रहण होना है. हालांकि नये भूमि अधिग्रहण बिल को देखते हुए 18 जून की बैठक के बाद सभी योजनाअों के एसआइए को स्थगित कर दिया गया है.

लंबी है एसआइए की प्रक्रिया. हाल में गोविंदपुर-पिपला रोड अौर बड़ाबांकी-हुरलुंग-धोबी घाट रोड निर्माण के लिए पथ निर्माण विभाग के प्रस्ताव पर सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (एसआइए) कराया गया है. दोनों योजना में छह से सात महीने का समय लगा, जिसके आधार पर एसआइए समाप्त होने से इतने समय की बचत होने की बात प्रशासनिक स्तर पर कही जा रही है. पथ निर्माण समेत किसी योजना के लिए रैयती जमीन का अधिग्रहण का संबंधित विभाग द्वारा प्रस्ताव देने के बाद जिला प्रशासन द्वारा एसआइए का निर्णय लिया जाता है, जिसके तहत सबसे पहले राज्य अौर देश के दूसरे हिस्सों की लगभग 41 एजेंसी-यूनिवर्सिटी को कितनी जमीन का एसआइए करना है,
उसकी जानकारी देकर रेट मांगा जाता है. सबसे कम रेट देने वाली एजेंसी का चयन एसआइए के लिए किया जाता है अौर एजेंसी द्वारा निर्धारित राशि का भुगतान करने के बाद संबंधित एजेंसी द्वारा प्रभावित क्षेत्र में एसआइए किया जाता है. एसआइए की रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी जाती है, एसआइए में रिपोर्ट योजना के पक्ष में आने पर विशेषज्ञ समूह की अनुशंसा लेने के बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाती है अौर एसआइए में किसी तरह का पेंच आ गया अौर समय लगता है, जिसके कारण किसी भी योजना के कार्यान्वयन में लंबा समय लगता है.
मुख्य योजनायें
कौन-कौन सी योजनाओं पर पड़ेगा असर
पूर्वी सिंहभूम जिले में एसआइए के लिए 11 से ज्यादा योजनायें प्रक्रियाधीन हैं. 18 जून को हुई बैठक के बाद से एसआइए को स्थगित रखा गया है अौर नये बिल के लागू होने के बाद से एसआइए कराने की जरूरत नहीं पड़ने की बात कही जा रही है.

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