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प्रेम का पाठ हमेशा याद रखें : फेलिक्स टोप्पो

जमशेदपुर : जमशेदपुर डायसिस के बिशप स्वामी फेलिक्स टोप्पो ने कहा कि बिशप रहते हुए वे कई देश व राज्यों का दौरा कर चुके हैं, लेकिन जैसा प्रेम व लगाव जमशेदपुर शहर और यहां के लोगों से मिला वैसा कहीं और नहीं मिला. रांची के नये आर्चबिशप बनाये जाने की घोषणा के बाद स्वामी फेलिक्स […]

जमशेदपुर : जमशेदपुर डायसिस के बिशप स्वामी फेलिक्स टोप्पो ने कहा कि बिशप रहते हुए वे कई देश व राज्यों का दौरा कर चुके हैं, लेकिन जैसा प्रेम व लगाव जमशेदपुर शहर और यहां के लोगों से मिला वैसा कहीं और नहीं मिला. रांची के नये आर्चबिशप बनाये जाने की घोषणा के बाद स्वामी फेलिक्स टोप्पो सोमवार को गोलमुरी बिशप हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि आर्चबिशप का पदभार ग्रहण करने के बाद भी जमशेदपुर के लोगों का प्यार व स्नेह उन्हें हमेशा याद रहेगा. जमशेदपुर धर्मप्रांत में प्रमुख के रूप में उन्हें सभी समुदाय के नजदीक रहने का मौका मिला. हर किसी ने अपने आयोजनों में उन्हें बुलाया व सम्मान-सत्कार दिया. यह प्रेम व घनिष्ठता व उनके साथ अटूट बंधन कभी नहीं टूटेगा. अपने जीवन काल में जहां कहीं भी रहेंगे शहरवासियों के अच्छे स्वास्थ्य जीवन व उन्नति की कामना करेंगे.
मसीही अपना धार्मिक विश्वास टूटने न दें. स्वामी फेलिक्स टोप्पो ने कहा कि मसीही अपने धार्मिक विश्वास को कभी टूटने नहीं दें. परमपिता परमेश्वर के एकमात्र पुत्र प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास रखें. लोगों की सेवा करने की भावना को कम नहीं होने दें. अपने कर्म से कभी पीछे नहीं हटें. सदकर्म में आगे बढ़ते रहें. लोगों को एक-दूसरे से जोड़कर रखें. भाईचारा व बंधुत्व की भावना हर परिस्थिति में कायम रखें. उन्होंने कहा कि जो दीन-दुखियों के प्रति समर्पित होगा, प्रभु की कृपा उनपर सदा बरसती रहेगी.
उनके जीवन में कभी अंधकार नहीं होगा. उन्हाेंने बताया कि जमशेदपुर धर्मप्रांत के बिशप के रूप में उन्हें जो जिम्मेदारी दी गयी थी. उसे प्राथमिकता में रखकर पूरा करने का प्रयास किया. आगे भी जो जिम्मेदारी दी जा रही है उसे पूरा करने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे. लंबे समय से मसीही समेत अन्य समाज व समुदाय की सेवा करते रहे हैं. उनकी सेवा में ही अपना पूरा जीवन को लगायेंगे.
28 को जायेंगे रांची. बिशप फेलिक्स टोप्पो 28 जून को रांची जायेंगे. उसके बाद उनके पदाभिषेक की तिथि की घोषणा की जायेगी. बिशप स्वामी को आर्चबिशप की प्रक्रिया पूरी करने में करीब डेढ़ महीने का वक्त लगेगा.
पल्ली पुरोहित को देखकर मिली सेवा की प्रेरणा
बिशप स्वामी ने बताया कि उनका बचपन गुमला के टुंगो में बीता है. वे वहां तीन-चार पल्ली पुरोहितों को अक्सर लोगों की सेवा करते हुए देखते थे. वे उनकी सेवा, प्रार्थना व समर्पण से काफी प्रभावित हुए. तब उन्होंने भी सोचा कि वे भी बड़े होकर लोगों की सेवा करेंगे. उनकी माताजी भी गरीब-गुरबों को खाना आदि खिलाया करती थी. इससे भी वह काफी प्रभावित हुए.
पिताजी मिशन स्कूल में मास्टर थे
बिशप स्वामी के पिताजी लेयोस टोप्पो मिशन स्कूल टुंगो में टीचर थे. वहां मिडिल तक की पढ़ाई होती थी. वहीं से उनकी मिडिल स्कूल भी पढ़ाई हुई. 1924 से लेकर 1968 तक उनका परिवार टुंगो पर ही रहा करता था. उसने हाइस्कूल की पढ़ाई संत जोन्स हाइ स्कूल रांची से की.
परिवार में था प्रार्थना का माहौल
बिशप स्वामी बताते हैं कि उनके परिवार में सुबह-शाम प्रार्थना का माहौल रहता था. उनके पिताजी भी धर्मग्रंथ का पाठ करते थे. इसी माहौल के वजह से उनमें सेवा का संस्कार आया, जो आज तक बरकरार है. लोगों की सेवा करना ही अपना लक्ष्य है.

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