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जमशेदपुर में निकलता है 900 किग्रा बायो मेडिकल कचरा
जमशेदपुर : अस्पतालों व नर्सिंग होम से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट शहर की मुसीबत बनते जा रहे हैं. इससे पर्यावरणीय खतरा बढ़ता जा रहा है. इनके सुरक्षित निपटान की बजाय यहां-वहां फेंका जा रहा है. शहर में प्रतिदिन अस्पताल, नर्सिंग होम व पैथोलॉजी लैब समेत लगभग 800 से 900 किलोग्राम जैविक कचरा निकलता है. […]
जमशेदपुर : अस्पतालों व नर्सिंग होम से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट शहर की मुसीबत बनते जा रहे हैं. इससे पर्यावरणीय खतरा बढ़ता जा रहा है. इनके सुरक्षित निपटान की बजाय यहां-वहां फेंका जा रहा है. शहर में प्रतिदिन अस्पताल, नर्सिंग होम व पैथोलॉजी लैब समेत लगभग 800 से 900 किलोग्राम जैविक कचरा निकलता है.
शहर के कुछ ही अस्पतालों में इसको नष्ट करने की सुविधा है इसके बाकी अस्पतालों में से निकलने वाले कचरा किसी दूसरे जगहों पर निष्पादन किया जाता है या शहर के भीतर ही नालियों, चौक-चौराहों, मैदानों में फेंक दिया जाता है. इस खतरनाक वेस्ट की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जबकि पूरे शहर के लिए यह समस्या है.
कई नर्सिंग होम व अस्पतालों में नहीं होता नियम का पालन
नियमों के अनुसार अस्पताल प्रबंधनों या नर्सिंग होम को अपने संस्थानों में कुल पांच तरह के डिब्बे व प्लास्टिक का उपयोग करना चाहिए. इसमें लाल, पीला, नीला, काला व हरा रंग का प्लास्टिक बैग व डस्टबिन होना चाहिए. लाल डिब्बे व प्लास्टिक में ब्लड बैग, ट्यूब के पाइप, सिरिंज व आईवी सैट रखना होता है. पीले में मानव ऊतक, प्लास्टर, रूई, गंदी पट्टियां, नीले में सुईयां, ब्लेड , खाली दवाओं के वायल व एम्पुल, काले डिब्बे में बेकार दवाइयां तथा हरे डिब्बे में कागज, धातु के टुकड़े तथा अन्य कचरा रखा जाता है. इन सभी अलग-अलग उठाव व निपटान होना चाहिए, लेकिन अस्पताल प्रबंधन सबको मिक्स कर इनके निपटान को मुश्किल व असुरक्षित कर देता है. प्रतिदिन कितना विषैला कचरा यूं ही बिना ट्रीटमेंट के खुले में फेंके जाने से संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है, जिसे रोका नहीं गया तो संक्रामक बीमारियों का खतरा हो सकता है.
पूर्वी सिंहभूम जिले के सभी अस्पतालों व नर्सिंग होम से निकलने वाले कचरा का निष्पादन के लिए कई दिशा-निर्देश दिये गये हैं. समय-समय पर विभाग द्वारा इसकी जांच भी की जाती है. नर्सिंग होम व अस्पताल का निबंधन के दौरान ही कचरा निष्पादन कैसे होती है इसका प्रमाण पत्र मांगा जाता है उसके बाद भी उस संस्थान का निबंधन किया जाता है. खुले स्थान पर बायो मेडिकल वेस्ट फेंकना गलत है. इसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
-डॉ महेश्वर प्रसाद, सिविल सर्जन
धनबाद में होता है शहर के कचरे का निष्पादन
जिला के सिविल सर्जन ऑफिस में 33 अस्पताल, 46 नर्सिंग होम व 124 पैथोलॉजी लैब निबंधित है. इसमें एमजीएम अस्पताल सहित चार अस्पतालों में मेडिकल वेस्ट निष्पादन करने के लिए इंसीनेरेटर की सुविधा उपलब्ध है. शहर के कई अस्पताल इनके यहां कचरा भेज कर निष्पादन कराने का काम करती है. वहीं शहर में चल रहे अधिकतर नर्सिंग होम के संचालकों द्वारा सिविल सर्जन ऑफिस में निबंधन के दौरान बताया गया कि नर्सिंग होम से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन के लिए बायो जेनेटिक लैब्रोटरी प्राइवेट लिमिटेड में निबंधन कराया गया है. नर्सिंग होम से निकलने वाले सभी बायो मेडिकल वेस्ट का निष्पादन वहीं किया जाता है. उन लोगों के अनुसार सप्ताह में दो दिन धनबाद से गाड़ी आती है नर्सिंग होम से निकलने वाले सभी कचरा को लेकर चली जाती है. इसके पहले कचरा को नियम अनुसार बाल्टी में बंद कर रखा जाता है. लेकिन धनबाद से गाड़ी कचरा लेने के लिए कब आती है कब जाती इसकी जानकारी विभाग को भी नहीं है.
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