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युद्ध को लेकर कृष्ण के अंदर चलता रहा द्वंद्व

जमशेदपुर : टैगोर सोसायटी की ओर से आयोजित नाट्योत्सव के तीसरे और अंतिम दिन रविवार को रवींद्र भवन में बांग्ला नाटक पांचजन्य का मंचन हुआ. नाटक की पृष्ठभूमि में कृष्ण का खुद के साथ द्वंद्व है. जिसे युवा और वृद्ध कृष्ण के जरिये दिखाया गया. युद्ध उनके लिए कितना सही था इसका द्वंद्व उनके अंदर […]

जमशेदपुर : टैगोर सोसायटी की ओर से आयोजित नाट्योत्सव के तीसरे और अंतिम दिन रविवार को रवींद्र भवन में बांग्ला नाटक पांचजन्य का मंचन हुआ. नाटक की पृष्ठभूमि में कृष्ण का खुद के साथ द्वंद्व है. जिसे युवा और वृद्ध कृष्ण के जरिये दिखाया गया. युद्ध उनके लिए कितना सही था इसका द्वंद्व उनके अंदर पूरे नाटक में चलता रहता है.
मंच पर बीच-बीच में मध्यम लाइट के साथ गांधारी का प्रवेश होता है. वह दुर्योधन और दुशासन सहित अपने सौ पुत्र के वध का दोषी कृष्ण को मानती है. वह दृश्य बहुत करुण बन गया था, जब गांधारी कहती है, युद्ध खत्म करो, शांति लाओ.
किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचता नाटक : पूरे नाटक में कृष्ण का व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन दिखाया गया. उनके जीवन में प्रेम का महत्व है. वह धर्म को विजयी होते देखना चाहता है. लेकिन नाटक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाता. कृष्ण कितने सही हैं या गलत, उनके जीवन का कौन सा हिस्सा अच्छा है, जैसे प्रश्न दर्शक खोजते रहते हैं और पर्दा गिर जाता है.
35 कलाकारों से सजा यह नाटक काफी कसा था. दर्शक कहीं भी स्पेस नहीं ले पाये. निर्देशक सोहिनी सेनगुप्ता ने युद्ध के दृश्य में मार्शल आर्ट का प्रयोग किया है. जिसे नवीन और अच्छा प्रयोग कहा जायेगा. युवा कृष्ण के रूप में सप्तर्षि और राधा के किरदार में इमोन का अभिनय जीवंत रहा. अन्य कलाकारों ने भी अपनी छाप छोड़ी. यह नांदिकार कोलकाता की प्रस्तुति थी. इस नाटक का 60 से अधिक मंचन हो चुका है. मौके पर सोसायटी के महासचिव अाशीष चौधरी व अन्य उपस्थित रहे.

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